Nirbhaya Case : कोलकाता के एक अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर की घटना के बाद एक बार फिर निर्भया कांड की याद दिला दी. इस कांड के बाद रेप में लगनी वाली धाराओं में संशोधन करके मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया.
19 August, 2024
Nirbhaya Case : कोलकाता के आरजी कार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के बाद एक बार फिर 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड की याद दिला दी. वर्तमान में जिस तरह से डॉक्टर के लिए देश के अलग-अलग स्थानों पर लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और आरोपियों को सजा दिलाने की बात कर रहे हैं. उसी तरह निर्भया कांड के बाद लोग घर से बाहर निकलकर इस जघन्य अपराध की भर्त्सना कर रहे थे. नतीजा ये निकला कि देश में रेप की परिभाषा पूरी तरह से बदल गई.
निर्भया कांड के बाद अस्तित्व में आया नया कानून
मामला यह है कि साल 2012 में हुए निर्भया कांड से पहले किसी पीड़िता के साथ सेक्सुअल पेनेट्रेशन नहीं हुआ है तो उसे रेप की कैटेगरी में नहीं माना जाता है. लेकिन देश में निर्भया कांड ने मानवता को हिलाकर रख दिया था. उसके बाद हालात और कानून दोनों में बड़े बदलाव देखे गए. नए कानून के अनुसार किसी बच्ची/लड़की/महिला को गलत तरीके से छूना, उसके साथ छेड़खानी करना और अन्य किसी तरीके से यौन शोषण करना रेप की श्रेणी में आ गया था. इसके अलावा, उसके बाद एक नया कानून अस्तित्व में आया जिसका नाम पॉक्सो एक्ट है.
क्या होता है पॉक्सो एक्ट ?
पॉक्स एक्ट जिसका मतलब प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी यह कानून 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ छेड़खानी मामले में कार्रवाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा यह एक्ट बच्चों को पॉर्न फिल्म दिखाने, सेक्सुअल हैरेसमेंट और सेक्सुअल असॉल्ट जैसे गंभीर अपराधों से तत्काल सजा दिलाने का करता है. पॉक्सो एक्ट में धारा 5 एफ, 6, 7, 8 और 17 में जुर्म करने वाला आरोपी बच नहीं सकता है. इस कानून की खास बात है यह कि जिस पर भी इस कानून की धाराएं लगेंगी उसकी गिरफ्तारी तत्काल प्रभाव से होगी. साथ ही उसको जमानत भी नहीं मिलती है और बच्ची को सुरक्षा देने का भी प्रावधान है.
आईपीसी की कई धाराओं में किया गया बदलाव
निर्भया कांड के बाद उस वक्त की मनमोहन सरकार को कानून में बदलाव की जरूरत महसूस हुई. कांड होने के तीन महीने बाद 3 फरवरी, 2013 को क्रिमिनल लॉ अम्नेडमेंट ऑर्डिनेंस संसद में प्रस्ताव किया गया. इसके बाद भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 181 और 182 में बदलाव किया गया. इस संशोधन के माध्यम से रेप से जुड़े मामले में सख्ती प्रदान की गई. साथ ही अम्नेडमेंट के बाद रेप के मामले में मौत तक की सजा देने का प्रावधान किया गया.
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