Naxal News: गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार CPI-माओवादी सबसे शक्तिशाली बना हुआ है. यह कुल हिंसक घटनाओं में होने वाली मौतों में 95 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है.
Naxal News: नक्सलियों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चौंकाने वाली जानकारी दी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा बलों की कड़ी कार्रवाई से डरकर नक्सली अंतरराज्यीय सीमाओं से सटे नए इलाकों में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, उन्हें इस मकसद में कुछ खास सफलता नहीं मिली है.
हिंसक घटनाओं में 48 फीसदी तक की कमी
केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस की ओर से नक्सल विरोधी अभियान और नक्सल प्रभावित इलाकों में एक साथ मिलकर चलाए जा रहे अभियानों के कारण हिंसक घटनाओं में 48 फीसदी तक की कमी आई है. यह आंकड़े साल 2013 में 1,136 से घटकर 2023 में 594 हो गए हैं. साथ ही बताया गया है कि नागरिकों और सुरक्षा बलों की मौतों में भी 65 फीसदी तक की कमी देखी गई है.
साल 2013 में इनकी संख्या 397 थी, जो अब घटकर 138 हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक LWE यानी लेफ्ट विंग एक्सीट्रीजम का इलाका भी घट गया है. साल 2013 में 76 जिलों के 328 पुलिस स्टेशनों में LWE से जुड़ी घटनाएं दर्ज की गई थी. अब यह घटकर साल 2023 में 42 जिलों के 171 पुलिस स्टेशनों तक ही सीमित रह गई है. हिंसा का दायरा काफी सीमित हो गया है और वामपंथी उग्रवाद की 91 प्रतिशत हिंसा सिर्फ 25 जिलों में ही दर्ज की गई हैं.
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CPI-माओवादी संगठन अभी भी मजबूत
केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार CPI-माओवादी सबसे शक्तिशाली बना हुआ है. यह कुल हिंसक घटनाओं में होने वाली मौतों में 95 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सब के बीच CPI-माओवादी संगठन अपनी स्थिति को मजबूत करने के प्रयास कर रहा है. अंतरराज्यीय सीमाओं में उनकी घुसपैठ ज्यादा सफल नहीं हो पाई है. इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सुरक्षा बलों के हताहत होने का सबसे बड़ा कारण IED यानी इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस है.
ऐसे में सुरक्षाबलों के जवान IED से बचने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रही है. रिपोर्ट में बताया गया है कि मुख्य माओवादी क्षेत्रों लगातार कार्रवाई के कारण साल 2022 में सुरक्षा बलों की मौतों और सामान्य लोगों की मौतों संख्या में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है. नक्सलियों के कारण देश के कई हिस्सों में विकास की प्रक्रिया दशकों पीछे चली गई है. हालांकि, उग्रवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं.
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