Home Latest पूर्वोत्तर राज्य में एयरपोर्ट एयर फोर्स को सौंपने पर विवाद, CM के सलाहकार ने बताई सच्चाई, जानें मामला

पूर्वोत्तर राज्य में एयरपोर्ट एयर फोर्स को सौंपने पर विवाद, CM के सलाहकार ने बताई सच्चाई, जानें मामला

by Divyansh Sharma
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Mizoram Lengpui Airport: टीबीसी लालवेनचुंगा ने कहा है कि सरकार ने लेंगपुई एयरपोर्ट को IAF को बेचने या पूरी तरह से हस्तांतरित करने पर विचार नहीं किया.

Mizoram Lengpui Airport: देश के पूर्वोत्तर राज्य में एक एयरपोर्ट को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा के सलाहकार ने इस पर बड़ा बयान दिया है. मुख्यमंत्री के वित्त सलाहकार टीबीसी लालवेनचुंगा ने सोमवार को कहा है कि मिजोरम सरकार ने राज्य के एकमात्र लेंगपुई एयरपोर्ट को IAF यानि भारतीय वायु सेना को बेचने या पूरी तरह से हस्तांतरित करने पर विचार नहीं किया है.

लड़ाकू विमानों की पार्किंग के लिए है जगह

टीबीसी लालवेनचुंगा ने पार्टी के एक कार्यक्रम में बताया कि सरकार केवल भारतीय वायुसेना के माध्यम से लेंगपुई एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण पर चर्चा कर रही है. एयरपोर्ट का स्वामित्व और प्रबंधन राज्य सरकार के पास है. उन्होंने बताया कि कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि हम एयरपोर्ट को भारतीय वायुसेना को सौंप देंगे, जो गलत है. उन्होंने कहा कि कार्यसमिति एयरपोर्ट को भारतीय वायुसेना या किसी अन्य एजेंसियों को हस्तांतरित करने की योजना पर गहन अध्ययन भी कर रही है और इस मामले पर कई विशेषज्ञों से भी राय ली गई है.

टीबीसी लालवेनचुंगा ने कहा कि साल 2011 में कांग्रेस सरकार ने भारतीय वायुसेना को लड़ाकू विमानों की पार्किंग के लिए 32 एकड़ जमीन दी थी. इसके बाद जोरमथांगा के नेतृत्व वाली MNF सरकार ने भी AIF को साल 2019 में लेंगपुई में 97 एकड़ और 2022 में सिहफिर में 5 एकड़ जमीन के स्वामित्व के लिए NOC दिया था. बता दें कि लेंगपुई एयरपोर्ट को AIF को सौंपने की सरकार की योजना को लेकर विपक्षी दल जमकर विरोध कर रहे हैं.

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रणनीतिक नजरिए से भी महत्वपूर्ण है एयरपोर्ट

गौरतलब है कि लेंगपुई एयरपोर्ट का निर्माण साल 1998 में किया गया था. यह मिजोरम की राजधानी आइजोल से लगभग 32 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की वेबसाइट के अनुसार यह भारत का पहला ऐसा एयरपोर्ट है, जिसका निर्माण किसी राज्य सरकार की ओर से किया गया है. साथ ही इसका स्वामित्व राज्य सरकार के पास है. पिछले कुछ समय से इसे AIF को सौंपने का बात चल रही है.

प्रस्ताव के तहत एयरपोर्ट का पूरा संचालन वायुसेना की ओर से ही किया जाएगा. रणनीतिक नजरिए से भी यह एयरपोर्ट बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा के बीच स्थित है. ऐसे में सीमा पार से किसी भी संकट की स्थिति में भारतीय वायु सेना इस एयरपोर्ट का आसानी से इस्तेमाल कर सकती है. इस प्रस्ताव को लेकर विवाद देखने को मिल रहा है. जानकारी के मुताबिक भारतीय वायु सेना मिजोरम में सुरक्षा रडार सिस्टम भी तैनात करने पर विचार कर रही है.

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