भारत और जापान के बीच सैन्य रिश्ते और मजबूत होंगे. इसके लिए दोनों देशों ने सैन्य अभ्यास करने का निर्णय लिया है. इसी सिलसिले में शनिवार को भारतीय सेना का दल संयुक्त सैन्य अभ्यास के लिए जापान रवाना हुआ.
NEW DELHI: भारत और जापान के बीच सैन्य रिश्ते और मजबूत होंगे. इसके लिए दोनों देशों ने सैन्य अभ्यास करने का निर्णय लिया है. इसी सिलसिले में शनिवार को भारतीय सेना का दल संयुक्त सैन्य अभ्यास के लिए जापान रवाना हुआ. यह सैन्य अभ्यास 24 फरवरी से 9 मार्च तक जापान के पूर्वी फ़ूजी युद्धाभ्यास प्रशिक्षण क्षेत्र में होगा. मालूम हो कि धर्म रक्षक सैन्य अभ्यास वार्षिक सैन्य अभ्यास है जो भारत और जापान में बारी-बारी से होता है. यह सैन्य अभ्यास पिछली बार फरवरी-मार्च 2024 में राजस्थान में किया गया था. भारतीय सैन्य दल में 120 जवान हैं.
जापान की ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेजीएसडीएफ) का प्रतिनिधित्व 34 वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट करेगी. जापान की तरफ से भी 120 जवान होंगे. इस सैन्य अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के मोटो के तहत संयुक्त शहरी युद्ध और आतंकवाद विरोधी अभियानों को अंजाम देते हुए दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन को बढ़ाना है. इस अभ्यास में उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजना और संयुक्त सामरिक अभ्यास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
इस अभ्यास में सामरिक अभ्यास, संयुक्त अभ्यास और आपदा प्रतिक्रिया रणनीतियां शामिल होंगी. जिसमें परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने, युद्ध कौशल दक्षता में सुधार करने और प्रभावी संयुक्त संचालन के लिए अंतर-संचालन को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. मालूम हो कि 14 से 17 अक्टूबर 2024 तक सेना प्रमुख ने जापान का दौरा किया था. उनकी जापान यात्रा काफी सफल थी. यात्रा के परिणाम स्वरूप यह सैन्य अभ्यास भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगा.
दोनों देशों का बीच मैत्री, विश्वास और सांस्कृतिक संबंध भी होंगे प्रगाढ़
यह अभ्यास क्षेत्रीय सुरक्षा, शांति और स्थिरता के प्रति भारत और जापान की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इसके साथ ही यह एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत के उनके साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है. धर्म रक्षक सैन्य अभ्यास भारत-जापान संबंधों के क्षेत्रीय सहयोग की आधारशिला को मजबूत करता है. यह परस्पर सैन्य संबंधों को मजबूत करता है और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देता है. भारत और जापान के बीच मैत्री, विश्वास और सांस्कृतिक संबंधों के स्थायी बंधन का प्रमाण यह अभ्यास सार्थक व्यावसायिक जुड़ाव के लिए मंच तैयार करता है तथा व्यापक रक्षा सहयोग के लिए दोनों देशों की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
ये भी पढ़ेंः रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका ने उठाया बड़ा कदम, UN में पेश किया प्रस्ताव; कई मुद्दों पर बनेगी सहमति!