Medansh Trivedi Develops Drone: छात्र मेदांश द्विवेदी अब ऐसे ड्रोन बनाना चाहते हैं, जो ज्यादा यात्रियों के साथ लंबे समय तक उड़ान भर सके. फिलहाल ड्रोन सिर्फ एक यात्रियों को लेकर ही उड़ान भर सकता है.
Medansh Trivedi Develops Drone: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले छात्र मेदांश द्विवेदी ने यात्री ड्रोन बनाया है. यह 80 किलोग्राम के व्यक्ति को लेकर उड़ान भर सकता है. मेदांश को इस प्रोजेक्ट में 5 वर्ष का समय लग गया. छात्र मेदांश ने इस मानव युक्त ड्रोन की कल्पना कोविड-19 महामारी के दौरान की थी. अब जाकर उनका यह सपना साकार हुआ है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मध्य प्रदेश में ग्वालियर के मशहूर सिंधिया स्कूल में 12वीं के छात्र मेदांश त्रिवेदी ने लोगों को एक से दूसरी जगह ले जाने वाले सिंगल सीटर ड्रोन को बनाया है.
मेदांश का कहना है कि टू सीटर, सिंगल सीटर हाइब्रिड ड्रोन, जो मेन जो पावर होगी, वो एयरक्राफ्ट के इंजन से मिलेगी और चार इलेक्ट्रिक मोटर होंगे. उसमें जो ड्रोन को स्टैबिलिटी प्रोवाइड करेंगे. मेदांश की इच्छा है कि उसका 3 घंटे का फ्लाइट टाइम रहे और 300-400 किलोमीटर तक उसकी रीच हो. मेदांश को पहले भी उनके नवाचारों के लिए कई इनाम मिल चुके हैं. बता दें कि मेदांश का मौजूदा सिंगल-सीटर ड्रोन करीब छह मिनट तक उड़ सकता है.
अप्रैल, 2024 में शुरू किया था काम
ड्रोन बनाने को लेकर छात्र मेदांश का कहना है कि इस ड्रोन में लोग बैठकर उड़ सकते हैं. इस ड्रोन में 80 किलो तक का इंसान बैठकर उड़ सकता है. छात्र ड्रोन 7वीं कक्षा से बनाता आ रहा है. 8वीं कक्षा में पढ़ाई करने के दौरान जब कोरोना आया, तब वह यूट्यूब पर ड्रोन बनाना सीख ही रहे थे. इस दौरान एक रेकोमेंडेशन में आया चाइना की एयर टैक्सी तो छात्र ने उस पर क्लिक किया. यहां पर चाइना की एयर टैक्सी देखी, जो फोर सीटर थी. यह काफी महंगी भी थी. ऐसे में ख्याल आया कि मेड इन इंडिया एयर टैक्सी बनाते हैं और वह भी सिंगल सीटर मॉडल. 8वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान मैंने इस पर काम शुरू कर दिया. अप्रैल, 2024 में ड्रोन बनाना शुरू किया और फिर जुलाई 2024 में यह पूरा हो गया.
बनाया है अच्छा ड्रोन
मनोज मिश्रा (पीआरओ, सिंधिया स्कूल) ने बताया कि मेदांश ने बहुत अच्छा एक ड्रोन बनाया है. मेदांश की रुचि शुरू से ही एवियेशन की चीजों में रही है. छात्र की रुचि 8वीं में पढ़ाई के दौरान जागी और वह पड़ोस में ही रहते थे. इस दौरान हम लोगों की बातचीत होती रहती थी. मेदांश के मिशन में माता-पिता ने भी बड़ा सहयोग किया. वहीं, मेदांश की मां स्मिता त्रिवेदी की मानें तो कुछ ऐसा करे जो मानवता के लिए हो, जो लोगों के जीवन में कुछ नयापन लेकर के आए. कुछ उनकी समस्या कम कर सकें.
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