Nirbhaya Case : 2012 में दरिंदगी की शिकार हुई निर्भया की मां ने कहा कि महिला सुरक्षा के मुद्दे पर स्थिति और बदतर हो गई है. पहले लोगों के मामले कोर्ट तक पहुंच जाते थे, लेकिन आज तो कुछ भी नहीं हो रहा है.
Nirbhaya Case : फिजियोथेरेपिस्ट युवती के साथ 16 दिसंबर, 2012 को हुए क्रूर सामूहिक दुष्कर्म ने देश के साथ-साथ दुनिया भर को लोगों को दहला दिया था. सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान युवती की मौत हो गई थी. उस दौरान पूरा देश उबल पड़ा था और लोग इंसाफ की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे. 12 साल बाद कोई हलचल नजर नहीं आए. इस पर निर्भया की मां का कहना है कि देश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 12 साल भी कुछ भी नहीं बदला है. बता दें कि2012 के भयावह निर्भया कांड की सोमवार को 12वीं बरसी है.
‘कुछ लड़कियों को अबतक नहीं मिला न्याय’
निर्भया की मां ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि निर्भया के साथ दरिंदगी को 12 साल हो गए है, लेकिन चीजें वैसी ही हैं. कुछ भी नहीं बदला है. हमारी लड़कियों को सुरक्षित रखने के लिए संघर्ष जारी है. उन्होंने कहा कि दुख की बात ये है कि कुछ भी नहीं बदला है. हालात और बदतर हो गए हैं. हम किस तरह के समाज में रह रहे हैं? ‘निर्भया’ के 8 साल बाद उसे न्याय मिला, दोषियों को सजा दी गई, लेकिन इतनी सारी घटनाएं हुईं और मुझे नहीं लगता कि बाकी लड़कियों को न्याय मिला है. हमारे समाज और व्यवस्था में सुधार की जरूरत है.
किरण बेदी ने दिया सामुदायिक पुलिसिंग का विकल्प
इस मुद्दे पर पूर्व आईपीएस अधिकारी और पुदुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी ने कहा कि अपराध और दुष्कर्म की रोकथाम का उत्तरदायित्व सामुदायिक पुलिसिंग है. समुदाय में ये घरों से शुरू होता है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से लड़के और लड़कियों का पालन-पोषण किया जाता है. इसके अलावा, स्कूल, शिक्षक, पंचायतें, स्थानीय प्रतिनिधि, कलेक्टर, एसपी और पुलिस. यह सब सामुदायिक पुलिसिंग है. यदि आप सामुदायिक पुलिसिंग के रूप में काम नहीं करेंगे तो ये होता रहेगा.
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