ISRO SpaDeX Mission: ISRO ने गुरुवार को बताया कि उसने स्पैडेक्स उपग्रहों को अलग कर दिया है, जिसे डी-डॉकिंग कहते हैं.
ISRO SpaDeX Mission: ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन एक बार फिर से इतिहास रच दिया है. ISRO ने गुरुवार को बताया कि उसने स्पैडेक्स उपग्रहों को अलग कर दिया है, जिसे डी-डॉकिंग कहते हैं. इससे पहले ISRO ने स्पेस में बुलेट की स्पीड से दस गुना ज्यादा तेजी से ट्रैवल कर रहे दो स्पेसक्राफ्ट्स को आपस में जोड़ा था, जिसे जिसे डॉकिंग कहते हैं.
खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में मिलेगी मदद
ISRO ने बताया कि डी-डॉकिंग से चंद्रमा की खोज, मानव अंतरिक्ष उड़ान और खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने जैसे भविष्य के मिशनों के लिए रास्ता साफ हो गया है. ISRO ने पिछले साल 30 दिसंबर को SpaDeX मिशन लॉन्च किया था. इस दौरान SDX-1 और SDX-2 उपग्रहों को स्पेस में स्थापित किया था. इसके बाद 16 जनवरी को दोनों उपग्रहों को स्पेस में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया.
Spadex undocking captured from both SDX-1 & SDX-2! 🛰️🛰️🎥
— ISRO (@isro) March 13, 2025
Watch the spectacular views of this successful separation in orbit.
Congratulations to India on this milestone! 🇮🇳✨ #Spadex #ISRO #SpaceTech pic.twitter.com/7u158tgKSG
ISRO के मुताबिक SpaDeX उपग्रहों को 16 जनवरी को सफलतापूर्वक डॉक किया गया था. अब ISRO ने 13 मार्च को पहले ही प्रयास में SpaDeX उपग्रहों को अनडॉक करने का महत्वपूर्ण ऑपरेशन पूरा कर लिया है. बयान में ISRO ने यह भी कहा कि अनडॉकिंग के बाद उसने उपग्रहों के साथ आगे के प्रयोगों की योजना बनाई है.
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बेंगलुरु, लखनऊ और मॉरीशस से की निगरानी
ISRO ने बताया कि उपग्रहों की अनडॉकिंग 460 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में 45 डिग्री झुकाव के साथ हुई. दोनों उपग्रह अब स्वतंत्र रूप से परिक्रमा कर रहे हैं और उनकी स्थिति सामान्य है. ISRO ने कहा कि वृत्ताकार कक्षा में उपग्रहों ने डॉकिंग और अनडॉकिंग कार्यों के लिए आवश्यक सभी क्षमताओं का सफलतापूर्वक प्रदर्शन कर लिया है.
ISRO successfully completed docking of two SPADEX satellites (SDX-01 & SDX-02) in the early hours of 16 January, 2025.#SPADEX #ISRO pic.twitter.com/UJrWpMLxmh
— ISRO (@isro) January 17, 2025
पूरे ऑपरेशन की निगरानी बेंगलुरु, लखनऊ और मॉरीशस स्थित ग्राउंड स्टेशनों के माध्यम से की गई. अब ISRO ने अनडॉकिंग की इस प्रमुख उपलब्धि को हासिल करने के बाद आने वाले दिनों में उपग्रहों के साथ आगे के प्रयोगों की योजना बनाई गई है. ISRO ने कहा कि उसने दो छोटे उपग्रहों का उपयोग करके अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है और इसे लागत प्रभावी प्रयोग बताया है.
क्यों जरूरी है मिशन
- चंद्रमा पर यान को भेजना
- चंद्रमा से नमूने वापस लाना
- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण
- मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन में सहायक
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