INS Tushil: INS तुशील नौसेना युद्ध के सभी चार आयामों यानी डाइमेंशन – हवा, सतह, पानी के नीचे और विद्युत चुम्बकी से आने आने चुनौतियों से निपटने के लिए सक्षम है.
INS Tushil: स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट INS तुशील को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है. इससे भारत की ताकत इंडो-पैसिफिक रीजन में कई गुना तक बढ़ जाएगी. इसे 9 दिसंबर को रूस के कलिनिनग्राद में यंतर शिपयार्ड में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया.
राजनाथ सिंह ने इसे भारत की बढ़ती समुद्री ताकत का प्रमाण बताया है. बता दें कि स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट INS तुशील को रूस ने तैयार किया है. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि INS तुशील की ताकत क्या है और क्यों इससे दुश्मन थर-थर कांपेंगे.
From Vision to Valour: Building the Shield of the Seas🌊
— IN (@IndiannavyMedia) December 8, 2024
📽️Witness the incredible journey of Tushil.#INSTushil, 'Abhedya Kavacham' (The Protector Shield)⚔️🛡️, is ready to join the #IndianNavy on 🗓️09 Dec! A symbol of #innovation, #resilience and unmatched strength, Tushil is… pic.twitter.com/dNTiskFJdq
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस है जहाज
दरअसल, रूस की क्रिवाक फ्रिगेट और गश्ती जहाजों की एक श्रृंखला है. इसी क्रिवाक III परियोजना का हिस्सा है INS तुशील. इनमें से पहले कुल 6 भारतीय नौसेना में शामिल किए जा चुके हैं. इन जहाजों का कोड नेम तलवार (स्वोर्ड आर्म) है. इनमें से तीन को सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिस्की शिपयार्ड और तीन को कैलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में बनाया गया है. अब सातवें जहाज को यंतर शिपयार्ड में ही बनाया गया है. इसके लिए भारत ने साल 2016 में रूस से समझौता किया था.
बता दें कि INS तुशील नौसेना युद्ध के सभी चार आयामों यानी डाइमेंशन हवा, सतह, पानी के नीचे और विद्युत चुम्बकी से आने आने चुनौतियों से निपटने के लिए सक्षम है. INS तुशील को कई घातक हथियारों से लैस किया है. इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें, हाई रेंज वाली श्टिल मिसाइलें, मध्यम दूरी की एंटी-एयर तोप, क्लोज-रेंज रैपिड फायर गन सिस्टम के साथ एंटी-सबमरीन टॉरपीडो और रॉकेट को लगाया गया है. खास बात यह भी है कि इस जहाज में स्वदेशी सामग्री का 26 फीसदी तक इस्तेमाल किया गया है.
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संघर्ष के बीच भारत ने यूक्रेन से खरीदा टर्बाइन
125 मीटर लंबा, 3900 टन वजनी INS तुशील की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह जहाज AEW&C यानी हाई टेक पनडुब्बी रोधी और हवाई प्रारंभिक चेतावनी हेलीकॉप्टर कामोव 28 और कामोव 31 को भी एक साथ ले जाने में सक्षम है. इस युद्धपोत की स्पीड 30 समुद्री मील (30 नॉट) से भी अधिक है, जो दुश्मन के रडार को भी चकमा दे सकता है . जहाज पर पहली कील साल 2013 में 12 जुलाई को लगाई गई थी और साल 2021 के अक्तूबर महीने में इसे पहली बार पानी में उतारा गया था.
काम पूरा होने के बाद इसी साल 25 जनवरी को जहाज पहले समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ था. इस दौरान INS तुशील ने सभी फायरिंग परीक्षणों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और कुछ समय में यह कमीशनिंग के बाद युद्ध के लिए तैयार स्थिति में भारत पहुंच जाएगा. गौरतलब है कि इस में M90FR गैस टर्बाइन को भारत ने सीधे यूक्रेन से खरीदा है. बता दें कि रूस-यूक्रेन के साथ संघर्ष की शुरुआत होने पर टर्बाइन के निर्यात पर यूक्रेन ने रोक लगा दी थी. फिर भी भारत इन इंजनों को हासिल करने में कामयाब रहा है.
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