Home National Former PM Manmohan Singh: कैसा रहा है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सफरनामा?

Former PM Manmohan Singh: कैसा रहा है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सफरनामा?

by Live Times
0 comment
भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्र के ज्ञाता कहे जाने वाले मनमोहन सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया है.

Introduction

Former PM Manmohan Singh: भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्र के ज्ञाता कहे जाने वाले मनमोहन सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. 1990 के दशक में बतौर वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने देश को कई सौगात दी हैं, जिसे लोग कभी भुला नहीं पाएंगे. देश के 14वें प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे. उन्होंने ब्यूरोक्रेसी में रहने से लेकर प्रधानमंत्री तक का पद तय किया. उस दौरान उन्होंने वित्त मंत्री के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर तक का पद भी संभाला. उन्होंने अपनी नीतियों से बता दिया कि आर्थिक हालात को बदला जा सकता है.

Table Of Content

  • कब हुआ था मनमोहन सिंह का जन्म?
  • कहां से की पढ़ाई?
  • राजनीतिक जीवन की शुरुआत
  • अपने भाषण के जरिए प्रकट करते थे विचार
  • प्रधानमंत्री के रूप में शुरू किया सफर
  • पीएम रहते कई उपलब्धियों को किया हासिल
  • कई विवादों में भी घिरे मनमोहन सिंह

कब हुआ था मनमोहन सिंह का जन्म?

Manmohan Singh

26 सितंबर, 1932 को पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) के गाह में गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर जन्मे मनमोहन सिंह को उनके काम, खासकर आर्थिक क्षेत्र में काम के लिए दुनिया भर में सम्मान दिया जाता है. उन्होंने साल 2004 से साल 2014 तक देश की बागडोर संभाली. देश के विभाजन के बाद मनमोहन सिंह का परिवार भारत चला आया, हालांकि प्राथमिक पढ़ाई उन्होंने पश्चिमी पंजाब में की. मनमोहन सिंह का बचपन मध्य वर्गीय परिवार में गुजरा. उन्होंने डिबरी की रोशनी में पढ़ाई की. वह शुरू से ही पढ़ाई में अच्छे थे.

कहां से की पढ़ाई?

Manmohan Singh

मनमोहन सिंह ने राजनीति में आने से पहले शिक्षा में एक अर्थशास्त्री और शिक्षक के रूप में करियर बनाया. साल 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिकुलेशन की परीक्षा पास की. उच्च शिक्षा के लिए वो पंजाब से निकलकर ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय पहुंच गए, जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी की ऑनर्स डिग्री हासिल की. ​​इसके बाद मनमोहन सिंह ने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डीफिल की डिग्री हासिल की. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाकर अपना करियर शुरू किया. उन्होंने UNCTAD सचिवालय में कुछ समय के लिए काम भी किया और बाद में 1987 और 1990 के बीच जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव बने.

राजनीतिक जीवन की शुरुआत

Manmohan Singh

वर्ष 1971 में मनमोहन सिंह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए. इसके तुरंत बाद वर्ष 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया. इसके बाद से 1985 में मनमोहन सिंह को राजीव गांधी के शासन काल में भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष चुन लिया गया था. इस पद पर उन्होंने 5 साल तक काम किया. साल 1990 में वह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार के रूप में निखरकर के सामने आए.

Manmohan Singh

उनके करियर का अहम मोड़ 1991 में नरसिंह राव सरकार में आया, जब उन्हें देश का वित्त मंत्री बनाया गया. इस दौरान मनमोहन सिंह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे. जब विपक्ष ने इसका विरोध किया तो उन्हें साल 1991 में असम से राज्यसभा चुना लिया गया. आर्थिक सुधारों की लंबी नीतियों की शुरुआत करने में उनकी भूमिका को दुनियाभर में सराहा जाता है.

अपने भाषण के जरिए प्रकट करते थे विचार

Manmohan Singh

जुलाई,1991 के अपने प्रसिद्ध बजट भाषण में मनमोहन सिंह ने कहा था कि पृथ्वी पर कोई भी शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है. मैं इस सम्मानित सदन को सुझाव देता हूं कि दुनिया में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में भारत का उदय ऐसा ही विचार है.

प्रधानमंत्री के रूप में शुरू किया सफर

Manmohan Singh

वर्ष 2004 में जब सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनने से इन्कार कर दिया. इसके बाद मनमोहन सिंह को भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व करने के लिए चुना गया. मनमोहन सिंह ने 22 मई, 2004 को प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली और 2009 में दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली. इस दौर में अभूतपूर्व विकास और समृद्धि की कहानी देखने को मिली. ऐसा माना जाता है कि उनके प्रधानमंत्री रहते हुए देश का सबसे ज्यादा विकास हुआ.

Manmohan Singh

उनका राजनीतिक जीवन 1991 में राज्यसभा सदस्य के तौर पर शुरू हुआ, जहां वे 1998 से 2004 के बीच विपक्ष के नेता थे. प्रधानमंत्री कार्यकाल के अंतिम समय में मनमोहन सिंह सरकार के रिकॉर्ड और विवादास्पद मुद्दों पर कांग्रेस के रुख का बचाव करते दिखे और उन्होंने कहा कि वे कमजोर प्रधानमंत्री नहीं हैं.

पीएम रहते कई उपलब्धियों को किया हासिल

MNREGA

MNREGA

मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए देश के लिए कई उपलब्धियां हासिल कीं. इसमें सबसे पहली उपलब्धि मनरेगा है. साल 2005 में शुरू की गई इस स्कीम ने ग्रामीणों के जीवन पर बड़ा असर डाला है. इसमें हर ग्रामीण परिवार को कम से कम 200 दिनों तक रोजगार की गारंटी मिली, जिसका फायदा आज भी लोग उठा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: RIP Manmohan Singh Live: मनमोहन के निधन पर देश में एक सप्ताह का राष्ट्रीय शोक

Right To Information

RTI

सूचना का अधिकार (RTI) : साल 2005 में सूचना का अधिकार कानून को भी पारित किया गया था. इसका उद्देश्य सरकारी कामों में पारदर्शिता को दर्शाना है. इस कानून के अनुसार आम लोगों को सरकार के फैसलों और नियमों से जुड़ी कोई भी जानकारी जानने का अधिकार है.

आधार योजना

AADHAR

आधार योजना ने प्रत्येक भारतीय नागरिकों अपनी एक अलग पहचान दी है. इससे सरकारी सेवाओं का लुफ्त उठाना आम लोगों के लिए आसान हो गया. साथ ही एक पहचान पत्र दिलवाया.

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर

DBT

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ऐसी स्कीम है जिसमें लोगों के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर किये जाते है. इसकी शुरुआत मनमोहन सिंंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही हुई. इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार को कम करना था.

परमाणु समझौता

ATOMIC DISCUSION

भारत के रक्षा क्षेत्र को भी बढ़ाने में मनमोहन सिंह का काफी योगदान रहा है. भारत-अमेरिका परमाणु समझौता ने भारत को रक्षा के क्षेत्र में एक नई उड़ान दी है. इस समझौते के बाद भारत को नागरिक परमाणु तकनीक तक पहुंच मिली और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को भी मजबूती मिली. उनके कार्यकाल में यह समझौता सबसे महत्तवपूर्ण उपलब्धि के रूप में निखर के सामने आई थी.

कई विवादों में भी घिरे मनमोहन सिंह

2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला

2G SCAM

अपने कार्यकाल में मनमोहन सिंह कई विवादों में भी रहे हैं. पहला विवाद 2-जी स्पेक्ट्रम को लेकर है. 2-जी स्पेक्ट्रम भारत का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला है. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट की मानें तो इस घोटाले में करीब 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का घपला किया गया था. घोटाले का पता चलते ही विपक्ष ने इसे लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद से संचार मंत्री ए.राजा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके अलावा उनको जेल भी जाना पड़ा था. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने उस दौरान कार्यरत पीएम मनमोहन सिंह की चुप्पी पर भी सवाल उठाए थे.

यह भी पढ़ें: RIP Manmohan Singh : तस्वीरों में कैद हुए अर्थशास्त्र के ‘ज्ञाता’ सरदार मनमोहन सिंह

कोयला आवंटन घोटाला

COAL SCAM

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में देश में कोयला आवंटन के नाम पर करीब 26 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था. इस घोटाले में कोयले का कैप्टिव ब्लॉक, जिसमें निजी क्षेत्र को उनकी मर्जी के मुताबिक ब्लॉक आवंटित कर दिया गया. इस कैप्टिव ब्लॉक नीति का फायदा हिंडाल्को, जेपी पावर, जिंदल पावर, जीवीके पावर और एस्सार आदि जैसी कंपनियों ने जोरदार तरीके से उठाया. इस स्कीम को खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बनाया था.

अनेक पुरस्कार से हुए सम्मानित

Manmohan Singh

मनमोहन सिंह को उनके पूरे जीवन में कई पुरस्कार मिले हैं. इसमें से भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण शामिल है. उन्हें यह पुरस्कार साल 1987 में दिया गया था. इसके साथ साल 1995 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार भी मनमोहन सिंह को दिया गया था. वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी पुरस्कार को साल 1993 और साल में दिया गया था. साल 1955 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार और कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्स कॉलेज में अपने उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार दिया गया था. मनमोहन सिंह कैम्ब्रिज और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालयों समेत कई विश्वविद्यालयों से उपाधियां हासिल कर चुके हैं.

Follow Us On: Facebook | X | LinkedIn | YouTube Instagram

You may also like

Leave a Comment

Feature Posts

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!

@2024 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00