विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) देश के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों, शिक्षकों और कालेज अध्यापकों की नियुक्ति में बड़ा बदलाव करने जा रहा है. इसका उद्देश्य चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना है.
NEW DELHI: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)देश के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों, शिक्षकों और कालेज
अध्यापकों की नियुक्तियों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है. इसका उद्देश्य चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना है. इसके लिए UGC ने 28 फरवरी तक लोगों से सुझाव मांगा है.
नए नियमों से नियुक्तियों में बदलाव आएगा. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भर्ती और पदोन्नति मानदंडों वाले मसौदे के संबंध में सुझाव प्राप्त करने की तिथि 28 फरवरी तक बढ़ा दी है. अधिकारियों के अनुसार पहले सुझाव भेजने के लिए 5 फरवरी तक का समय दिया गया था, जिसे अब 28 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है. UGC सचिव मनीष जोशी ने बताया कि मसौदे पर प्रतिक्रिया देने की अंतिम तिथि बढ़ाने के लिए लोगों से प्राप्त अनुरोधों के मद्देनजर यूजीसी ने अब समय सीमा 28 फरवरी तक बढ़ाने का फैसला किया है.
2018 के दिशा-निर्देशों की जगह लेगा नया मसौदा
मालूम हो कि यूजीसी ने पिछले महीने मसौदा (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय) विनियम 2025 जारी किया था, जिसके बारे में कहा गया था कि यह 2018 के दिशानिर्देशों की जगह लेगा.
मसौदा नियमों के अनुसार,उद्योग विशेषज्ञों के साथ-साथ लोक प्रशासन, सार्वजनिक नीति और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के वरिष्ठ पेशेवर जल्द ही कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र हो सकते हैं. मसौदा मानदंडों ने कुलपतियों की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय खोज-सह-चयन समिति गठित करने का अधिकार भी कुलपतियों या आगंतुकों को दिया है.
नए मसौदे से सहायक प्रोफेसर स्तर पर होगी सीधी भर्ती
नए दिशा-निर्देश विश्वविद्यालयों में संकाय सदस्यों की नियुक्ति के मानदंडों में भी संशोधन करेंगे,जिससे कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग (एमई) और मास्टर्स ऑफ टेक्नोलॉजी (एमटेक) में स्नातकोत्तर डिग्री रखने वाले लोगों को यूजीसी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) उत्तीर्ण किए बिना सीधे सहायक प्रोफेसर स्तर पर भर्ती होने की अनुमति मिल जाएगी. कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और झारखंड (सभी विपक्षी शासित राज्य) के छह मंत्रियों या उनके प्रतिनिधियों ने गुरुवार को यूजीसी के “कठोर” मसौदा विनियमन, 2025 पर 15-सूत्रीय प्रस्ताव को अपनाया.
उधर, यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि यूजीसी विनियमन 2025 का उद्देश्य अधिक समावेशी और पारदर्शी चयन प्रक्रिया शुरू करके विश्वविद्यालयों में उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करना है.उन्होंने कहा कि प्राथमिक उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना,शोध नवाचार को बढ़ावा देना, विश्वविद्यालय प्रशासन को वैश्विक स्तर पर जोड़ना है. कहा कि देश की उच्च शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए यह सकारात्मक कदम है.
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