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महाकुंभनगरः आधुनिक तकनीक से किया जा रहा गंगा जल को साफ, BARC कर रहा बैक्टीरिया का इस्तेमाल

by Sanjay Kumar Srivastava
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MAHAKUMBH NAGAR

महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ख्याल योगी सरकार रख रही है. श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. इतने भव्य आयोजन को सुव्यस्थितस्वच्छ बनाने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं.

MAHAKUMBH NAGAR: महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ख्याल योगी सरकार रख रही है. श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. इतने भव्य आयोजन को स्वच्छ बनाने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं. भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ( BARC) और ISRO की मदद से गंगा जल को स्वच्छ किया जा रहा है. जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो.

ग्रे वॉटर के लिए बनाए गए हैं 75 कृत्रिम तालाब, बायो रेमेडिएशन से किया जा रहा ट्रीट

पहली बार संगम क्षेत्र में निकलने वाले ग्रे वॉटर को भी 75 कृत्रिम तालाब बनाकर नई तकनीक बायो रेमेडिएशन से पानी को साफ किया जा रहा है. मेला क्षेत्र में 1.5 लाख से अधिक बनाए गए टॉयलेट और यूरिनल को साफ रखने के लिए 1600 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. मालूम हो कि प्रदेश सरकार ने पूरे महाकुंभ के आयोजन पर 7 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं. इसमें से 16 सौ करोड़ रुपए सिर्फ पानी और वेस्ट मैनेजमेंट पर लगाए गए हैं . इसमें से भी 316 करोड़ रुपए मेला क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाने पर खर्च किए गए हैं.

मेला क्षेत्र में 1.45 लाख शौचालय बनाए गए हैं. इनके अस्थायी सेप्टिक टैंकों में इकट्ठा होने वाले कचरे और स्लज के ट्रीटमेंट के लिए फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTPs) स्थापित किए गए हैं. कचरे के ट्रीटमेंट में हाइब्रिड ग्रेन्युलर सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (hgSBR) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

मेला क्षेत्र में बनाए गए हैं प्री-फैब्रिकेटेड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

जल निगम नगरीय के सहायक अभियंता प्रफुल्ल कुमार सिंह ने बताया कि महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 10,15,16 में 4.76 करोड़ की लागत से .5 mld के तीन अस्थायी एसटीपी स्थापित किए गए हैं. नैनी, झूसी और सलोरी में स्थापित प्री-फैब्रिकेटेड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTP) और BARC (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर) के सहयोग से कचरे और मल का शोधन किया जा रहा है. भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर द्वारा विकसित बैक्टीरिया पानी को साफ कर रहा है.

भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के डिपार्टमेंट ऑफ़ एटॉमिक एनर्जी के प्रतिनिधि अरुण कुमार ने बताया कि सबसे पहले हमने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के कलपक्कम केंद्र में बैक्टीरिया डेवलप किया. इस बैक्टीरिया में एक ही रिएक्टर में हम एरोबिक और अनएरोबिक दोनों ट्रीटमेंट कर सकते हैं. इसके बाद हमने मेला क्षेत्र के तीन अलग-अलग सेक्टरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए. बैक्टीरिया और एटॉमिक ओजोन के अलावा पानी को साफ करने के लिए प्लांट में किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, क्योंकि ब्लीच या क्लोरीन का इस्तेमाल करने पर उसके कुछ अंश पानी में रह ही जाते हैं.

साफ किया गया पानी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मानकों के अनुरूप

बताया कि खास बात यह है कि इस प्लांट में ट्रीट किया हुआ पानी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मानकों के अनुरूप है. सहायक अभियंता ने बताया कि मेला क्षेत्र में नहाने, कपड़े धोने, बर्तन धोने जैसे रोजमर्रा के कार्यों से निकलने वाला ग्रे वाटर भी सीधे नदी में प्रवाहित न हो इसकी भी व्यवस्था की गई है. मेला क्षेत्र में बने 75 कृत्रिम तालाबों में मेला क्षेत्र का सारा ग्रे वाटर ड्रेनेज लाइनों के माध्यम से लाया जाता है और बायो रेमेडिएशन के माध्यम से ट्रीट करने के बाद ही इसको नदी में प्रवाहित किया जाता है.

कहा कि प्रयागराज में स्थापित 10 एसटीपी की जांच UPPCB (उत्तर प्रदेश pollution कंट्रोल बोर्ड ), CPCB (सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ) और थर्ड पार्टी इन्सपेक्शन (MNIT) के माध्यम से करवाई गई, जिसमें सभी पैरामीटर (BOD, COD, TSS, pH, Fecal Coliform) एनजीटी द्वारा निर्धारित मानकों के तहत पाए गए हैं.

ये भी पढ़ेंः सनातन की सुंदरता पर समाजवादी और वामपंथियों को कष्टः CM योगी, महाकुंभ में जिसने जो तलाशा उसको वह मिला

लखनऊ से राजीव ओझा की रिपोर्ट

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