5 Reason Why BJP Won: देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव में रुझानों के चलते तख्तापलट देखने को मिल रहा है. करीब 27 साल बाद भारतीय जनती पार्टी ने सत्ता में वापसी की है.
5 Reason Why BJP Won: राष्ट्रीय राजधानी में वोटों की गिनती अब भी जारी है. इस बीच रुझानों की मानें तो इस बार दिल्ली में तख्तापलट की स्थिति दिखाई दे रही है. वोट काउंटिंग के ट्रेंड्स बता रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी 27 साल बाद शानदार वापसी की है. वह दिल्ली में सरकार बनाने के बहुमत की ओर पुख्ता तरीके से जा रही है. पिछले दो विधानसभा चुनावों में अगर BJP दहाई तक भी नहीं पहुंच रही थी तो इस बार उसने ऐसा क्या कर दिया कि सारी तस्वीर ही बदल गई. कैसे इस बार BJP ने दिल्ली के दिल में जगह बनाई है?
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मजबूत संगठनात्मक ढांचा
BJP ने चुनाव से पहले अपने संगठन को मजबूत किया, जिसमें केंद्रीय मंत्रियों, पदाधिकारियों और सांसदों को अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस रणनीति के तहत हर नेता को दो विधानसभा क्षेत्रों में काम करने का मौका मिला. इसकी वजह से जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ मजबूत हुई. BJP का मजबूत संगठनात्मक ढांचा और कार्यकर्ताओं का नेटवर्क चुनावी बूथ स्तर तक सक्रिय था. पोलिंग बूथ मैनेजमेंट और वोटर आउटरीच में उनकी रणनीति प्रभावी रही. AAP पिछले दस 10 साल से दिल्ली में राज कर रही थी और ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली के अंदर AAP के खिलाफ लोगों में गुस्सा था, लेकिन वो अंडर करंट ही रहा यानी एंटी इनकंबेसी का असर तो था, लेकिन वो बाहर दिखाई नहीं पड़ा. शायद यही नुकसान आम आदमी पार्टी के उपर देखने को मिला जो एग्जिट पोल में भी दिखाई दिया.
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मिडिल क्लास के लिए BJP की रणनीति
दिल्ली में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर वेतनभोगी करीब 33 लाख वोटर हैं यानी दिल्ली की आबादी में 21 फीसदी मतदाता वेतनभोगी हैं. पूरे देश में सबसे ज्यादा वेतन पर काम करने वाले दिल्ली में हैं और सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी भी दिल्ली में हैं. दिल्ली चुनाव के ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी ने बजट के जरिए मिडिल क्लास को लुभाने का भरपूर प्रयास किया है. टैक्स छूट की घोषणा मिडिल क्लास के लिए बहुत बड़ी सौगात था. माना जा रहा है कि इस मास्टर स्ट्रोक के जरिए मोदी ने दिल्ली के मिडिल क्लास को BJP के पाले में लाने का काम किया.
माइक्रो मैनेजमेंट भी एक बड़ी वजह
दिल्ली के चुनाव में पीएम मोदी ने माइक्रो मैनेजमेंट की मिसाल पेश की. दिल्ली के सियासी दंगल में जीत हासिल करने के लिए पीएम ने महाराष्ट्र के महारथी से लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा तक को मैदान में उतार दिया. हर सीट के हिसाब से रणनीति तैयार की गई. दिल्ली के रण में BJP के बड़े-बड़े दिग्गज प्रचार के लिए उतरे. जहां जो मुद्दा बड़ा था उसी हिसाब से BJP आगे बढ़ी. जहां हिंदुत्व की बात करनी थी वहां हिंदूवादी चेहरे उतारे गए और जहां पानी मुद्दा था वहां पानी के अधिकार की आवाज को बुलंद किया गया. जाति, धर्म से लेकर भूगोल तक के पैमाने को परखकर स्टार प्रचारकों की फौज राजधानी में उतरी थी.
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ईमानदार और विपक्ष का विभाजन
दिल्ली एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित होते नजर आ रहे हैं. इस सर्वे में केजरीवाल की हार के पीछे एक बहुत बड़ी वजह BJP की ओर से उनकी ईमानदार इमेज उठाया गया था, जो एक मुख्य वजह हो सकती है AAP की इस चुनाव में बड़ी हार की. BJP ने आम आदमी पार्टी की कट्टर ईमानदार वाली छवि पर तगड़ा अटैक किया और चुनाव के आखिरी दिन तक ये हमला रुका नहीं. मुमकिन है कि कथित शीशमहल ने केजरीवाल की छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया. विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और AAP के बीच तालमेल की कमी और अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला भी BJP के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुई है. कांग्रेस ने इस बार AAP के वोटों को जमकर काटा. हालांकि, इस चुनाव में कांग्रेस को भी कोई फायदा होते नहीं दिख रहा है.
यूथ जेनरेशन और सकारात्मक चुनाव प्रचार
यहां बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में BJP की जीत की सबसे बड़ी वजह यूथ हो सकती है. राजधानी की युवा पीढ़ी ने कभी भी BJP को राज करते हुए नहीं देखा है. साल 1998 में BJP सत्ता से बाहर हुई जिसके बाद से 3 बार कांग्रेस की सरकार बनी और 3 बार AAP की. करीब 27 साल के बाद BJP को सत्ता में आने का मौका मिला है. जबकि बीते 10 सालों से केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार काम कर रही है. ऐसे में जो 30-35 साल वाली युवा पीढ़ी है उसने होश संभालने के बाद आज तक दिल्ली में BJP का सीएम देखा ही नहीं है, जबकि BJP उत्तर भारत के तमाम राज्यों में सरकार बना चुकी है या सरकार में है. हो सकता है कि युवा पीढ़ी ने इस वजह से दिल्ली में बदलाव के लिए वोट किया हो. इसके अलावा पार्टी ने सकारात्मक चुनाव प्रचार पर जोर दिया, जिसमें विकास, सुशासन और बुनियादी सुविधाओं के सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे जनता के बीच सकारात्मक छवि बनी.
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