APJ Abdul Kalam Death Anniversary 2024 : देश के पूर्व राष्ट्रपति, वैज्ञानिक और शिक्षक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी पुण्यतिथि पर लोग याद कर रहे हैं.
27 July, 2024
Dr. APJ Abdul Kalam Life History in Hindi : ‘मिसाइस मैन’ के नाम से मशहूर डॉ. अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) को उनकी पुण्यतिथि पर लोग याद कर रहे हैं. वैज्ञानिक होने के साथ-साथ वह उम्दा शिक्षक भी थे. वह देश के राष्ट्रपति भी चुने गए. बतौर शिक्षक वह छात्रों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय थे. एक तरफ अब्दुल कलाम को दुनिया के मिसाइल मैन की संज्ञा दी गई, तो दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में उनकी पहचान पीपल्स प्रेसिडेंट के तौर पर भी रही.
कलाम साहब ने नहीं हारी हिम्मत
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था. कलाम साहब के पिता का नाम जैनुलाबदीन और मां का नाम आशियम्मा था. कलाम साहब अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे जरूर थे, लेकिन जिम्मेदारियों ने उन्हें घर का बड़ा बना दिया. उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा. आवाजाही का कोई साधन नहीं था, इसलिए वह स्कूल पैदल ही जाते थे. परिवार की आर्थिक की बहुत अच्छी नहीं थी, इसलिए पढ़ाई का खर्च निकालने और परिवार की मदद के लिए अखबार भी बेचते थे.
एपीजे अब्दुल कलाम में छोटी उम्र से ही हवाई जहाज, रॉकेट और अंतरिक्ष में गहरी रुचि थी, जिसे लेकर वह जानकारी भी प्राप्त करते रहते थे. अब्दुल कलाम ने रामेश्वरम में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की और उन्होंने साल 1954 में त्रिची के सेंट जोसेफ कॉलेज से साइंस की डिग्री हासिल की थी. उच्च शिक्षा के क्रम में वर्ष 1957 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का अध्ययन किया.
‘मिसाइल मैन’ बने 11वें राष्ट्रपति
डॉ. कलाम 1992 से 1999 तक वह रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे. उनके नेतृत्व में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया. इसके बाद ‘मिसाइल मैन’ बनकर उन्होंने पूरी दुनिया को भारत के महाशक्ति बनने का एहसास दिलाया. फिर साल 2002 से 2007 तक देश के 11वें राष्ट्रपति का पदभार भी संभाला, साथ ही राष्ट्रपति का अपना कार्यकाल पूरा करने के अगले ही दिन उन्होंने शिक्षण पेशा फिर से शुरू कर दिया था.
Heart Attack से हुआ था निधन
‘सपना वह नहीं है जो आप नींद में देखते हो. सपना वह होता है जो आपको सोने नहीं देता’ अब्दुल कलाम की यह लाइन आपने जरूर सुनी होगी. वह अक्सर छात्रों से कहते थे. 27 जुलाई, 2015 को डॉ. कलाम ने दुनिया को अलविदा कह दिया. इस दौरान वह IIM शिलांग में लेक्चर दे रहे थे. मंच पर ही दिल का दौरान पड़ने से मौत ने उन्हें अपनी आगोश में ले लिया. आज भले ही वह अब दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी कही बातें लोगों के दिलों में जिंदा हैं.
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