Maha Kumbh 2025 : अगले साल होने वाले महाकुंभ 2025 को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. इस दौरान अखाड़ों का जिक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता.
Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु यहां आने वाले हैं. ऐसे में कुंभ मेला हो और अखाड़ों का जिक्र न हो, ऐसा हो नहीं सकता. देश में कुल 13 अखाड़े मुख्य हैं. ये अखाड़े कोई कुश्ती के अखाड़े नहीं, बल्कि सनातन की अलग-अलग धाराओं और मतों के अखाड़े हैं. यह अखाड़े मुख्य रूप से 3 मतों में बंटे होते हैं. पहला वैष्णव, दूसरे शैव और तीसरे उदासीन.
संगठन ने पहली बार कब किया प्रदर्शन?
यहां बता दें कि संगठन ने साल 2019 में कुंभ मेले में पहली बार अपना प्रदर्शन किया. इस अखाड़े का अस्तित्व साल 2019 में आया था. प्रयागराज के कुंभ में किन्नर अखाड़ों का टेंट लगाया गया था. उस दौरान अखाड़े में भारी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन हुआ था. देशभर में इन अखाड़ों को मानने वाले लोग हैं और इसके बहुत से अनुयायी भी हैं. बहुचरा माता किन्नर समुदाय की आध्यात्मिक देवी हैं. किन्नर अखाड़ा हिंदू परंपरा में उत्पत्ति का दावा करता है. साल 2019 का कुंभ मेला पहला मेला था, जहां किन्नर समुदाय ने एक अखाड़े के रूप में भाग लिया था. 2019 में कुंभ मेले में अखाड़े ने नाटक, संगीत, नृत्य और पेंटिंग सहित विभिन्न कलाओं को प्रस्तुत किया था.
सनातन धर्म से जुड़ा है अखाड़ा
गौरतलब है कि किन्नरों का अखाड़ा भी सनातन धर्म की तरह है. किन्नर अपने आराध्य की पूजा सनातन मान्यताओं के अनुसार ही करते हैं. इस अखाड़े के अनुयायी कहते हैं कि अखाड़े का गठन उन लोगों को सही राह पर लाने के लिए किया गया था, जो अपने रास्ते से भटक चुके हैं. किन्नर अखाड़े के सदस्यों के अनुसार उनका अस्तित्व प्राचीन समय से है. रामायण और महाभारत काल में भी इन्होंने अपनी मौजूदगी का परिचय दिया था. भगवान राम के जन्म के समय भी किन्नर अपना आशीर्वाद देने पहुंचे थे. इसके अलावा महाभारत में भी शिखंडी का पात्र था.
सभ्यता से परिचित
जे किन्नर सनातन को मानते हैं वे सभी किन्नर अखाड़े से जुड़ सकते हैं. किन्नर अखाड़ा आम आदमी को किन्नरों की सभ्यता से परिचित कराता है. यह हिंदू धर्म और LGBT विषयों की चर्चा को बढ़ावा देता है. इस अखाड़े ने अपनी पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर पर भी निर्धारित किए हैं.
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