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BHOPAL: बम की धमकी वाले MAIL को AI करेगा FAIL , NFSU के वैज्ञानिकों ने बनाए उपकरण

by Sanjay Kumar Srivastava
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NFSU Bhopal

बम की धमकी वाला मेल भेजकर दहशत फैलाने वालों के मंसूबे अब सफल नहीं होंगे. बदमाशों के धमकी भरे मेल से जहां दहशत का माहौल पैदा हो जाता था, वहीं प्रशासनिक अफसर भी इसे लेकर परेशान रहते थे.

BHOPAL: बम की धमकी वाला मेल भेजकर दहशत फैलाने वालों के मंसूबे अब सफल नहीं होंगे. बदमाशों के धमकी भरे मेल से जहां दहशत का माहौल पैदा हो जाता था, वहीं प्रशासनिक अफसर भी इसे लेकर परेशान रहते थे. ये मेल सही है या गलत, अब इसका पता तुरंत लगाया जा सकेगा और इस पर त्वरित कार्रवाई भी हो सकेगी. यह उपलब्धि हासिल की है राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) भोपाल ने.

NFSU भोपाल के वैज्ञानिकों ने बम की धमकी वाले मेल का पता लगाने के लिए AI उपकरण विकसित किए हैं. विकसित AI सॉफ्टवेयर IP एड्रेस, टाइपिंग पैटर्न आदि की जांच करके फर्जी E-MAIL बम की धमकियों की प्रामाणिकता का पता लगा सकता है. मालूम हो कि 18 फरवरी को मध्य प्रदेश के बीना रेलवे स्टेशन पर E-MAIL बम की धमकी से हड़कंप मच गया था, बम की सूचना पर जब कामायनी एक्सप्रेस को खाली कराकर जांच की गई तो यह अफवाह निकली.

इसके अलावा फरवरी में इंदौर के दो स्कूलों में बम रखे होने संबंधी मेल से हड़कंप मच गया था. खबर मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और स्कूल को खाली कराकर चप्पे-चप्पे की तलाशी ली गई. यह खबर भी फर्जी बम की धमकी वाली निकली. देशभर के कई राज्यों में पुलिस प्रशासन के लिए इस तरह की झूठी ईमेल बम की धमकी आम समस्या बन गई है.

इन्हीं समस्याओं से निपटने के लिए भोपाल की नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर एक खास सॉफ्टवेयर तैयार किया है. इस सॉफ्टवेयर की खासियत यह होगी कि इसके आईपी एड्रेस, टाइपिंग पैटर्न आदि के जरिए ऐसे ईमेल की सत्यता का पता लगाना आसान होगा. यह सॉफ्टवेयर ऐसे फर्जी मेल को पल भर में पहचान सकता है कि वे असली हैं या नकली और कहां से भेजे गए हैं.

जालसाजों की पहचान करने में भी मिलेगी मदद

NFSU के निदेशक प्रो.सतीश कुमार ने बताया कि विकसित SOFTWARE की मदद से ऐसे मेल के स्रोत का पता लगाना बेहद आसान हो जाएगा. इसकी मदद से हम मेल की भाषा शैली, उसमें इस्तेमाल किए गए शब्द, टाइपिंग पैटर्न आदि का विश्लेषण करके पता लगा सकते हैं कि मेल असली है या नकली. इससे जालसाजों की पहचान कर उन्हें पकड़ने में भी मदद मिलेगी.

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