Elephant Corridors : सीजेआई संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट को यह जांच करने की अनुमति दे दी जिसमें लैंड सीमांकन और अधिग्रहण मामले में किसी भी तरह का उल्लंघन तो नहीं किया गया है.
Elephant Corridors : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि नीलगिरि में हाथी गलियारे के रास्ते में आने वाली प्राइवेट प्रॉपर्टी और रिसॉर्ट के मालिकों को जमीन खाली करने का आदेश देने संबंधी 2020 का उसका फैसला अंतिम है. सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद प्रभावित भूस्वामियों की तरफ से उठाई गई आपत्तियों का समाधान करते हुए वन्यजीव आवासों की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है. हालांकि सीजेआई संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट को यह जांच करने की अनुमति दे दी थी जिसमें लैंड सीमांकन और अधिग्रहण मामले में किसी भी तरह का उल्लंघन तो नहीं किया गया है. SC ने इसके लिए एक समिति भी नियुक्त कर दी थी.
तीन सदस्यीय वाली बनाई गई समिति
तीन सदस्यों वाली समिति का गठन तमिलनाडु सरकार के आदेश के तहत हाथी गलियारे (हाथियों के आने-जाने वाले रास्ते) जमीन को चिह्नित करने के लिए नीलगिरी जिलाधिकारी के फैसले के खिलाफ निजी भूमि मालिकों की आपत्तियों पर फैसला लेने के लिए किया गया था. इस समिति में मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. वेंकटरमन, वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया के सलाहकार अजय देसाई और वाइल्डलाइफ फर्स्ट के ट्रस्टी तथा राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य प्रवीण भार्गव शामिल किया गया था.
अधिकारियों को सौंपना होगा कब्जा
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के साल 2011 के उस फैसला बरकरार रखा जिसमें अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती समेति रिसॉर्ट मालिकों और निजी भूमि मालिकों को हाथी गलियारे में जमीन खाली करने और उसका कब्जा अधिकारियों को सौंपने के लिए कहा गया था. फैसले के अलग-अलग पहलुओं पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने शुक्रवार को कहा कि हम यह बिल्कुल साफ करना चाहते हैं कि 14 अक्टूबर, 2020 का फैसले में दर्ज निष्कर्ष अंतिम है. वहीं, पीठ ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी की दलीलों पर गौर करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय में मामले के निर्णय के लिए समय-सीमा तय की जानी चाहिए अन्यथा यह मामला वर्षों तक लटकता रहेगा.
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