Home Lifestyle कब से ट्रेंड में आई सेरोगेसी? कौन सी महिला बन सकती है सेरोगेट मदर, जानें इस प्रोसेस से जुड़े सभी सवालों के जवाब

कब से ट्रेंड में आई सेरोगेसी? कौन सी महिला बन सकती है सेरोगेट मदर, जानें इस प्रोसेस से जुड़े सभी सवालों के जवाब

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सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत एक महिला किसी अन्य व्यक्ति या परिवार के लिए गर्भधारण करती है और बच्चे को जन्म देती है. जन्म के बाद बच्चे को कानूनी रूप से अपनाया जाता है.

Introduction

सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत एक महिला किसी अन्य व्यक्ति या परिवार के लिए गर्भधारण करती है और बच्चे को जन्म देती है. जन्म के बाद बच्चे को कानूनी रूप से अपनाया जाता है. लोग कई वजहों से सरोगेसी का सहारा लेते हैं, जैसे कि बांझपन, गर्भावस्था में खतरा या गर्भधारण ना कर पाना. इसके बाद किसी ऐसी महिला को चुना जाता है जो उनके बच्चे को जन्म दे सके. बच्चे को जन्म देने वाली महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है. बच्चे की कस्टडी लेने वाले व्यक्ति को कमीशनिंग माता-पिता कहा जाता है. सरोगेट माताओं को आमतौर पर एजेंसियों के जरिए बच्चे की इच्छा रखने वाले माता-पिता से मिलवाया जाता है. सेरोगेट मदर के मिल जाने से लेकर बच्चा होने तक की सभी प्रक्रियाओं में ये कपल पूरी तरह से शामिल होता है.

History of Surrogacy  - Live Times

Table Of Content

  • कई वजह से लोग अपनाते हैं सरोगेसी
  • क्या है सरोगेसी ?
  • कितने तरीके की होती है सरोगेसी ?
  • वेबएमडी की रिपोर्ट ने किया खुलासा
  • जेस्टेशनल सरोगेसी की प्रक्रिया है कठिन
  • कौन सी महिला बन सकती है सरोगेट मां
  • सरोगेसी की प्रक्रिया
  • क्या भीरत में लीगल है सरोगेसी?
  • क्या है भारत में सरोगेसी के अधिनियम ?
  • सरोगेसी बिल 2019
  • सरोगेसी की अनुमति कब दी जाती है?
  • क्या है सरोगेट बनने के लिए योग्यता?
  • सरोगेसी कानून की कुछ अन्य बारीकियां
  • कितना होता है खर्च?
  • बॉलीवुड के इन कपल्स ने उठाई सरोगेसी की सुविधा
  • सरोगेसी पर बॉलीवुड में बनी हैं कई फिल्में

कई वजह से लोग अपनाते हैं सरोगेसी

सरोगेसी व्यवस्था में पैसों का मुआवजा भी शामिल हो सकता है और नहीं भी. व्यवस्था के लिए पैसे प्राप्त करना कमर्शियल सरोगेसी कहलाती है. आपको बता दें कि हमारे देश में भी कई जानी-मानी हस्तियों ने सरोगेसी के जरिए अपना माता-पिता बनने का सपना पूरा किया है.

क्या है सरोगेसी ?

Surrogate Mother Eligibility - Live Times

पिछले कुछ सालों में सरोगेसी शब्द महिलाओं और आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है या कहें कि खूब सुनने को मिल रहा है. इस कड़ी में साल 2022 में इस शब्द को सबसे ज्यादा गूगल भी किया गया. देश में कुछ लोगों को सरोगेसी के बारे में जानकारी है, लेकिन अब भी ज्यादाकर लोग इस शब्द से अनजान हैं. सरोगेसी शब्द अचानक उस समय लोकप्रिय हो गया जब एक के बाद एक बॉलीवुड के कई सितारे इसके जरिए मां-बाप बने. सरोगेसी के जरिए प्रियंका चोपड़ा, शाहरुख खान, आमिर खान, करण जोहर, शिल्पा शेट्टी, प्रीति जिंटा जैसे कई बड़े स्टार्स माता-पिता बन चुके हैं. सरल शब्दों में अगर इसे समझाएं तो अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी महिला की कोख में अपने बच्चे को पालना सरोगेसी कहलाता है.

कितने तरीके की होती है सरोगेसी ?

Surrogacy Guidelines - Live Times

आमतौर पर सरोगेसी दो प्रकार की होती है. इसमें ट्रेडिशनल सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी शामिल है. आइए जानतें हैं दोनों के बीच में क्या अंतर हैं.

ट्रेडिशनल सरोगेसी: ट्रेडिशनल सरोगेसी में डोनर या पिता के शुक्राणु को सेरोगेट मदर के अंडाणु से मैच कराया जाता है. इसके बाद डॉक्टर कृत्रिम तरीके से सरोगेट महिला के कर्विक्स, फैलोपियन ट्यूब्स या यूटेरस में स्पर्म को सीधे प्रवेश कराते हैं. इससे प्रक्रिया के दौरान स्पर्म बिना किसी परेशानी के महिला के यूटेरस में पहुंच जाता है. इस प्रक्रिया में बच्चे की बायोलॉजिकल मदर सरोगेट मदर ही होती है. यानी जिसकी कोख किराए पर ली गई है. अगर होने वाले पिता का स्पर्म इस्तेमाल नहीं किया जाता तो किसी डोनर के स्पर्म का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इस स्थिति में पिता का बच्चे के साथ जेनेटिकली रिलेशन नहीं होता है. इस टर्म को ट्रेडिशनल या पारंपरिक सरोगेसी कहा जाता है. 

जेस्टेशनल सरोगेसी: भारत में जेस्टेशनल सरोगेसी ज्यादा प्रचलन में है. इसमें माता-पिता के शुक्राणु और अंडाणु को मिलाकर सेरोगेट मदर की कोख में रखा जाता है. इस प्रक्रिया में सरोगेट मदर केवल बच्चे को जन्म देती है, उसका बच्चे से जेनेटिकली रिलेशन नहीं होता है. बच्चे की मां सरोगेसी कराने वाली महिला ही होती है. बता दें कि इसमें पिता के स्पर्म और माता के एग्स का मेल डोनर के स्पर्म और एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूटेरस में ट्रांसप्लांट किया जाता है.

वेबएमडी की रिपोर्ट ने किया खुलासा

Surrogacy is a Reproductive Technology  - Live Times

अमेरिका में स्थापित वेबएमडी के मुताबिक जेस्टेशनल सरोगेसी कानूनी रूप से कम कठिन है, क्योंकि इसमे माता-पिता दोनों के बच्चे के साथ जेनेटिकली रिलेशन होते हैं. पारंपरिक सरोगेसी की तुलना में जेस्टेशनल सरोगेसी अधिक आम हो गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह है जेनेटिकली रिलेशन. जेस्टेशनल सरोगेसी का उपयोग करके अमेरिका में हर साल करीब 750 बच्चे पैदा होते हैं.

जेस्टेशनल सरोगेसी की प्रक्रिया है कठिन

यहां बता दें कि जेस्टेशनल सरोगेसी की मेडिकल प्रक्रिया थोड़ी कठिन होती है. इसमें आईवीएफ का तरीका अपनाकर भ्रूण बनाया जाता है और फिर उसे सरोगेट महिला में ट्रांसफर किया जाता है. हालांकि, आईवीएफ का यूज ट्रेडिशनल सरोगेसी में भी हो सकता है लेकिन ज्यादातर मामलों में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन ही अपनाया जाता है. इस प्रक्रिया में ज्यादा परेशानी नहीं होती. इसमें सरोगेट महिला को अलग-अलग तरहों की जांच से छुटकारा मिल जाता है और ट्रीटमेंट भी नहीं कराना पड़ता.

कौन सी महिला बन सकती है सरोगेट मां

Surrogacy Now is in Trends - Live Times

सरोगेसी में रुचि रखने वाले अधिकांश कपल प्रक्रिया और इलाज की लागत पर चर्चा करने के लिए सरोगेसी एजेंसी से मिलते हैं. एजेंसी उन्हें जेस्टेशनल कैरियर से मिलाने में मदद करती है. होने वाले माता-पिता और कैरियर के बीच कानूनी समझौते स्थापित करने में भी मदद करती हैं. कुछ कपल अपनी जनरेशन को आगे बढ़ाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को कैरियर के रूप में चुनते हैं. सरोगेट मदर वह महिला बन सकती है जो विवाहित हो या तलाकशुदा हो. कुंवारी महिलाओं इसके लिए वैध्य नहीं हैं. इसके साथ ही चुनी गई महिला का कम से कम एक बच्चा पहले से ही हो. भारतीय अधिनियमों के तहत सरोगेट मदर बनने वाली महिला भारत की नागरिक होनी चाहिए और उस महिला की उम्र 25 से 35 वर्ष के अंदर होनी चाहिए. इसके साथ ही डॉक्टरों ने उस महिला को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बताया हो.

सरोगेसी की प्रक्रिया

Surrogacy Explained and procedure - Live Times

सरोगेसी की प्रक्रिया थोड़ी कठिन होती है. इस प्रक्रिया से गुजरने के लिए सबसे पहले लीगल एग्रीमेंट से गुजरना होता है.
सबसे पहले सरोगेट चाइल्ड की इच्छा रखने वाले माता-पिता और सरोगेट मदर के बीच एक लीगल एग्रीमेंट बनवाया जाता है. इसमें सरोगेसी से जुड़ी सारी शर्तें लिखी जाती हैं, जैसे कि सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को अपने गर्भ में रखेगी और उसके जन्म के बाद उसे उनके लीगल पेरेंट को सौंपना होगा. इस एग्रीमेंट में सरोगेट मदर की फीस भी लिखी होती है.

एंब्रियो ट्रांसफर

इस चरण में अंडे और स्पर्म को साथ लेकर फर्टिलाइज कराया जाता है. जब वह एंब्रियो में परिवर्तित हो जाता है, तो उसे सरोगेट मदर के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है.

गर्भावस्था और प्रसव

एंब्रियो ट्रांसफर के कुछ समय के बाद महिलाएं गर्भ धारण कर लेती हैं और इसके कुछ समय के बाद वह प्राकृतिक रूप से एक बच्चे को जन्म भी देती है. बच्चे की इच्छा रखने वाले माता-पिता हमेशा एक स्वस्थ सरोगेट मदर की खोज में होते हैं, क्योंकि वह स्वस्थ संतान की इच्छा रखते हैं.

पेरेंट को बच्चे को सौंपना

Surrogacy Process and Treatment - Live Times

एग्रीमेंट की तर्ज पर बच्चे के जन्म के बाद उसे इंटेंडेड पेरेंट को सौंप दिया जाता है और उसी दौरान सरोगेट मदर की पूरी फीस भी दे दी जाती है.

क्या भीरत में लीगल है सरोगेसी?

Commercial surrogacy became legal in India in 2002 -  Live Times

गौरतलब है कि कई देशों में सरोगेसी को अवैध माना जाता है. हालांकि, भारत की बात करें तो, यहां सरोगेसी मान्य है. लेकिन इसे लेकर कुछ नियम कानून भी हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है. इसे लेकर नियम कानून हाल ही में लाए गए हैं, वो भी इसलिए क्योंकि सरोगेसी को लोग व्यवसायिक रूप न दे सकें और इसका यूज जरूरतमंद कपल ही उठा सकें. भारत सरकार ने सरोगेसी के नियम कानून में बदलाव किए और इसे सख्त बनाया.

क्या है भारत में सरोगेसी के अधिनियम ?

सरोगेसी बिल 2019

Surrogacy Law in India - Live Times

सरोगेसी को अवैध रूप से रोकने के लिए सरोगेसी बिल का प्रस्ताव साल 2019 में रखा गया था. उस दौरान लोकसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस बिल को पेश किया था. इस बिल में नेशनल सरोगेसी बोर्ड, स्टेट सरोगेसी बोर्ड के गठन की बात कही गई है. वहीं, इस बिल में सरोगेसी की निगरानी करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करने का भी प्रावधान है.
सरोगेसी की अनुमति सिर्फ उन कपल्स को दी जाती है जो विवाहित हैं. इन सुविधाओं को लेने के लिए कई शर्तें पूरी करनी होती है. जैसे जो महिला सरोगेट मदर बनने के लिए तैयार होगी, उसकी सेहत और सुरक्षा का ध्यान सरोगेसी की सुविधा लेने वाले को रखना होगा. सरोगेसी बिल 2019 व्यावसायिक सरोगेसी पर रोक लगाता है, लेकिन स्वार्थहीन सरोगेसी की अनुमति देता है. निस्वार्थ सरोगेसी में गर्भावस्था के दौरान चिकित्सा में खर्चे और बीमा कवरेज के अलावा सरोगेट मां को किसी तरह का पैसा या मुआवजा नहीं दिया जाता. वहीं, कमर्शियल सरोगेसी में, चिकित्सा पर आए खर्च और बीमा कवरेज के साथ पैसा या फिर दूसरी तरह की सुविधाएं दी जाती.

सरोगेसी की अनुमति कब दी जाती है?

When given permission for surrogacy - Live Times

सरोगेसी की अनुमति उन कपल्स को दी जाती है जो जो इन्फर्टिलिटी से जूझ रहे हों. इसके अलावा जिन कपल्स का इससे कोई स्वार्थ न जुड़ा हो. इसके अलावा बच्चों को बेचने, देह व्यापार या अन्य प्रकार के शोषण के लिए सरोगेसी न की जा रही हो और जब कोई किसी गंभीर बीमारी से गुजर रहा हो, जिसकी वजह से गर्भधारण करना मुश्किल हो रहा हो.

क्या है सरोगेट बनने के लिए योग्यता?

सरोगेट बनने के लिए एलिजिबल होती है. इसके लिए महिला की उम्र 25 से 35 साल के बीच होनी चाहिए. वह शादीशुदा होनी चाहिए और उसके पास अपने खुद के बच्चे भी होने चाहिए. इसके अलावा वो पहली बार सरोगेट होनी चाहिए. भारत में सरोगेट बस एक बार ही बन सकती है. इन सबके के अलावा महिला मानसिक रूप से फिट होनी चाहिए. एक बार दंपति और सरोगेट ने अपना प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया, तो वे भ्रूण स्थानांतरण के लिए सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी केंद्र से संपर्क कर सकते हैं. कानून की मानें तो सरोगेट मां और दंपति को अपने आधार कार्ड को लिंक करना होता है. यह व्‍यवस्‍था में शामिल व्‍यक्तियों के बायोमेट्रिक्‍स का पता लगाने में मदद करेगा, जिससे धोखाधड़ी की गुंजाइश कम हो जाएगी.

सरोगेसी कानून की कुछ अन्य बारीकियां

Technicalities in surrogacy terms and policies - Live Times

भारतीय विवाह अधिनियम गे कपल्स की शादी को मान्यता नहीं देता है. इसलिए, समलैंगिक जोड़े बच्चे पैदा करने के लिए सरोगेसी का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. एक बार कॉन्ट्रैक्ट होने के बाद महिला इससे इन्कार नहीं कर सकती है और न ही अपनी मर्जी से गर्भ को खत्म कर सकती है.
कानून कहता है कि सरोगेसी प्रोसेस में भ्रूण से मां बाप का रिश्ता होना जरूरी है, या तो पिता से हो मां से हो या फिर दोनों से.

यहां बता दें कि अगर भारतीय कपल्स देश के बाहर सरोगेसी की सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं तो, इससे पैदा होने वाले बच्चे को भारतीय नागरिक के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी.

सरोगेसी से जन्मे बच्चे 18 वर्ष के होने पर यह जानने के अधिकार का दावा कर सकते हैं कि वे सरोगेसी से पैदा हुए हैं. वे सरोगेट मां की पहचान का पता लगाने का भी अधिकार रखते हैं.

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कितना होता है खर्च?

How much money need for become a surrogate mother - Live Times

सरोगेसी करवाने का कोई फिक्स अमाउंट नहीं होता. कपल अपने बच्चे को जितना स्वस्थ चाहते हैं उस हिसाब से वह सरोगेट मदर की अच्छी देखभाल और रेगुलर चेकअप पर होने वाले खर्चे के हिसाब से इस प्रक्रिया पर खर्चा होता है. सरोगेट मदर के खानपान, रेगुलर चेकअप से लेकर बच्चे के पैदा होने तक जो भी खर्चा आता है वो सब इस प्रक्रिया में शामिल होता है. इसमे सरोगेसी मदर को भी पैसा दिया जाता है. सरोगेसी के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमें खर्चे से संबंधित सभी बातें लिखी हुई होती हैं.

बॉलीवुड के इन कपल्स ने उठाई सरोगेसी की सुविधा

Bollywood couples takes surrogacy treatment - Live Times

एक्ट्रेस सनी ल्योनी तीन बच्चों की मां हैं. उन्होंने सबसे पहले एक बच्ची को गोद लिया था, जिसे अक्सर सनी के साथ देखा जाता है. इसके अलावा सनी सेरोगेसी की मदद से दो जुड़ावा बच्चों की मां बनी हैं, जिनके नाम अशर सिंह वेबर और नोहा सिंह वेवर हैं. सनी और उनके पति डेनियल साल 2018 में इन बच्चों के पेरेंट्स बने थे.

Bollywood Star Shahrukh Khan baby born with the help of a surrogate mother - Live Times

बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान भी 3 बच्चों के पिता हैं. उनके बड़े बेटे का नाम आर्यन है और बेटी का नाम सुहाना. बता दें कि शाहरुख के तीसरे बेटे अबराम का जन्म सरोगेसी के जरिए हुआ है. साल 2013 में शाहरुख अबराम के पिता बने थे.

Ekta Kapoor became mother via surrogacy - Live Times

बालाजी प्रोड्क्शन की मालकिन एकता कपूर भी सेरोगेसी की मदद से मां बनीं. एकता एक सिंगल पेरेंट हैं. एकता के बच्चे का नाम रवि है.

Kiran Rao became mother via surrogacy - Live Times

आमिर खान और उनकी पत्नि किरण राव साल 2011 में सेरेगेसी की मदद से एक बच्चे के माता-पिता बने. आमिर ने अपने छोटे बेटे का नाम आजाद राव खान रखा है.

Preity Zinta became mother via surrogacy - Live Times

इस लिस्ट में प्रीति जिंटा का नाम भी शामिल है. प्रीति सेरेगेसी की मदद से जुड़वा बच्चों की मां बन चुकी हैं. उन्होंने दोनों बच्चों के नाम जय और जिया रखे हैं.

Priyanka Chopra baby surrogate mother - Live Times

बॉलीवुड की देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा हिंदी सिनेमा के साथ हॉलीवुड में भी अपने अभिनय से खूब नाम कमा रही हैं. यहां बता दें कि प्रियंका चोपड़ा और उनके पति निक जोनस सरोगेसी की मदद से पेरेंट्स बने हैं. अभिनेत्री ने 21 जनवरी, 2022 को सोशल मीडिया पर इस बात की आधिकारिक घोषणा की थी.

सरोगेसी पर बॉलीवुड में बनी हैं कई फिल्में

सरोगेसी एक ऐसा विषय है, जिस पर अक्सर चर्चा होती है. सरोगेसी पर बॉलीवुड में कई फिल्में बनी हैं. इनमें साल 1983 में आई ‘दूसरी दुल्हन’ से लेकर कृति सेनन की फिल्म ‘मिमी’ तक का नाम शामिल है. इन फिल्‍मों ने मनोरंज के साथ-साथ समाज को हमेशा एक नई सोच देने की कोश‍िश की है. बदलते समाज में सरोगेसी एक ऐसी जरूरत बन गई है, जिसे लेकर सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं.

‘दूसरी दुल्हन’

Doosri dulhan movie based on prostitute hired as a surrogate mother - Live Times

‘दूसरी दुल्हन’ साल 1983 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में विक्टर बनर्जी और शर्मिला टैगोर मुख्य भूमिका में थे. फिल्म में शबाना आजमी ने कमाठीपुरा की एक वेश्या का किरदार निभाया था. इस फिल्म में शबाना आजमी सरोगेट मां का किरदार निभाया था.

‘चोरी चोरी चुपके चुपके’

Chori Chori Chupke Chupke movie based on young prostitute as a surrogate mother - Live Times

फिल्म ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’ में सलमान खान और रानी मुखर्जी एक कपल के रूप में नजर आए थे. इस फिल्म में प्रीति जिंटा ने सरोगेट मां का किरदार निभाया है. इस फिल्‍म का डायरेक्‍शन अब्‍बास-मुस्‍तान ने किया था. फिल्‍म 9 मार्च, 2001 को रिलीज हुई थी.

‘फिलहाल’

Filhaal movie revolves around surrogate motherhood - Live Times

साल 2002 में रिलीज हुई फिल्‍म ‘फिलहाल’ भी सरोगेसी पर आधारित है. इस फिल्‍म में सुष्‍म‍िता सेन ने सरोगेट मां का किरदार निभाया है.

‘गुड न्यूज’

Good News movie based on concept of surrogacy - Live Times

करीना कपूर, अक्षय कुमार, कियारा आडवाणी, दिलजीत दोसांझ की फिल्म ‘गुड न्यूज’ वैसे तो आईवीएफ पर है, लेकिन कहानी में हालात ऐसे बनते हैं कि दोनों महिलाएं सेरोगेट मदर बन जाती हैं.

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‘मिमी’

Mimi Movie based on surrogate mother - Live Times

बॉलिवुड एक्ट्रेस कृति सेनन की फिल्म ‘मिमी’ भी सरोगेट मदर की कहानी दिखाती है. फिल्‍म में कृति के साथ पंकज त्र‍िपाठी भी अहम भूमिका में हैं.

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