US NSA India Visit: जेक सुलिवन ने कहा कि जॉर्ज बुश और पूर्व डॉ. मनमोहन सिंह ने करीब 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग के लिए समझौता किया था.
US NSA India Visit: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले अमेरिका के NSA यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन भारत की यात्रा पर हैं. इस दौरान उन्होंने सोमवार को बहुत बड़ा एलान किया है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बैठक के बाद उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन भारत-अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु सहयोग में बाधाओं को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है.
जल्द पूरी हो जाएगी अमेरिका की कागजी कार्रवाई
अमेरिका के NSA जेक सुलिवन ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने करीब 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग के लिए समझौता किया था. हाल में अमेरिकी और भारतीय ऊर्जा कंपनियां AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्वच्छ ऊर्जा में नए क्षमताओं को विकसित करने में सक्षम हैं. ऐसे में जो बाइडेन प्रशासन ने तय किया है कि इस साझेदारी को मजबूत करने के लिए अगला बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है.
VIDEO | Delhi: Here's what USA National Security Advisor Jake Sullivan said, addressing IIT Delhi students on 'The United States and India: Building a Shared Future.'
— Press Trust of India (@PTI_News) January 6, 2025
"In 1949, Prime Minister Nehru toured the United States to understand how new technologies could strengthen… pic.twitter.com/Efcd9aGH5T
जेक सुलिवन ने आगे कहा कि अमेरिका लंबे समय से चले आ रहे उन नियमों को हटाने के लिए आवश्यक कदमों को भी अंतिम रूप दे रहा है, जो भारत की प्रमुख परमाणु संस्थाओं और अमेरिकी कंपनियों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग में बाधा बन रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि औपचारिक कागजी कार्रवाई जल्द ही पूरी हो जाएगी और यह कदम अतीत के कुछ विवादों को खत्म करने के लिए अहम होगा.
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विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण है परमाणु ऊर्जा अधिनियम
इसके साथ ही अमेरिकी NSA जेक सुलिवन ने दावा किया कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए भारत-अमेरिका सहयोग महत्वपूर्ण है. साथ ही उन्होंने भारत की अपनी अंतिम यात्रा को लेकर भावुक भी दिखे. उन्होंने कहा कि यह मेरी NSA के रूप में अंतिम विदेश यात्रा होगी और मैं अपने कार्यकाल को समाप्त करने का इससे बेहतर तरीका नहीं सोच सकता.
बता दें कि साल 1954 में अमेरिका में परमाणु ऊर्जा अधिनियम लागू किया गया था. इसे 123 समझौता भी कहा जाता है, जो अमेरिका की विदेश नीति के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके तहत लागू नियम दुनिया में सबसे कड़े और कठोर हैं. ऐसे में इस समझौते के तहत देशों के संबंध अमेरिका के साथ गहरे होते हैं. गौरतलब है कि एक पूर्ण परमाणु सहयोग साझेदारी 100 साल से अधिक समय तक चलने वाले दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को जन्म दे सकती है. ऐसे में यह भारत के लिए अहम हो सकता है.
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