Home International पीपीपी अध्यक्ष बिलावल का खुलासा, ‘साझेदारी फार्मूले को नकारा’

पीपीपी अध्यक्ष बिलावल का खुलासा, ‘साझेदारी फार्मूले को नकारा’

नवाज ने दिया था '3:2 का फॉर्मूला'!

by Farha Siddiqui
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PPP Chairman Bilawal

19 February 2024

पाकिस्तान चुनाव के बाद सरकार बनाने की कवायद जारी है। इस बीच पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सत्ता बंटवारे के उस फॉर्मूले का खुलासा किया जो उन्हें पेश किया गया था। इस ऑफर के तहत दो पार्टियां प्रधानमंत्री की सीट शेयर करेंगी।

बिलावल की नवाज को दो टूक

पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने कहा कि पीपीपी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी के बीच प्रधानमंत्री पद को लेकर हुए साझेदारी फार्मूले को हमने अस्वीकार कर दिया है। भुट्टो में एक रैली को संबोधित करते हुए बिलावल ने कहा कि मुझसे (पीएमएल-एन) ने कहा था कि हमें तीन साल के लिए प्रधानमंत्री बनने दें। बाकी दो सालों के लिए आप प्रधानमंत्री पद ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें मना कर दिया। मैंने कहा कि मैं इस तरह से प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहता। मैं प्रधानमंत्री तभी बनूंगा जब पाकिस्तान के लोग मुझे चुनेंगे।

पीपीपी ने किया राष्ट्रपति उम्मीदवार का ऐलान

बिना किसी का नाम लिए बिलावल ने कहा कि पार्टी ने फैसला किया है कि पीपीपी सरकार में कोई मंत्रालय नहीं मांगेगी। बिलावल ने यह भी कहा कि मेरे पिता आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति पद के लिए पीपीपी के उम्मीदवार होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी राजनीतिक तनाव को कम करने में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे। देश में फैली आग पर काबू पाने के लिए हमने फैसला किया है कि राष्ट्रपति चुनाव में आसिफ अली जरदारी हमारे उम्मीदवार होंगे। जब वह (आसिफ अली जरदारी) पद संभालेंगे तो इस आग को बुझाकर केंद्र और राज्यों को बचाएंगे।

किसी पार्टी को नहीं मिला पूर्ण बहुमत

पाकिस्तान में 8 फरवरी को हुए नेशनल असेंबली के चुनावों में बिलावल की पार्टी 54 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। जबकि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पीटीआई के समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने 101 सीटें और नवाज शरीफ की पीएमएल-एन ने 75 सीटों पर जीत हासिल की थी। सरकार बनाने के लिए 266 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 133 सीटों पर जीत हासिल करनी थी। हालांकि इस बार 265 सीटों पर चुनाव लड़ा गया था। पीपीपी और पीएमएल-एन ने चुनाव के बाद गठबंधन बनाया था और दोनों दलों के नेताओं के बीच कई बैठकों के बावजूद सत्ता-साझा करने के फॉर्मूले पर आम सहमति नहीं बन पाई।

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