Introduction
Interesting facts about Jimmy Carter: उम्र का शतक लगाकर दुनिया को अलविदा कहने वाले अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर अपने लाजवाब व्यक्तित्व और कार्यों के चलते हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगे. अपनी मानवतावादी खूबियों और बेहतर राजनेता होने के चलते ही जिमी कार्टर अमेरिका के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले 45 लोगों में से एक बने. उन्होंने ऐसे समय में अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला जब हालात अच्छे नहीं थे. आर्थिक मोर्चे पर तो स्थिति कतई ठीक नहीं थी. बावजूद इसके सत्ता में आने के बाद उन्होंने कई ऐसे कार्य किए, जिसके चलते उनका नाम अमेरिका के दिग्गज नेताओं में शुमार हो गया. जिमी कार्टर ने ‘वाटरगेट’ घोटाले की उठती राजनीतिक लपटों और वियतनाम युद्ध के बाद राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था.
वियतनाम के साथ युद्ध ने अमेरिका की काफी किरकिरी कराई, क्योंकि इस लड़ाई से अमेरिका को आर्थिक नुकसान तो हुआ ही साथ ही समय भी जाया हुआ. कुल मिलाकर इस युद्ध में अमेरिका जीतकर भी ‘हार’ गया. विपरीत हालात में सत्ता संभालने वाले जिमी कार्टर 1977 से 1981 तक राष्ट्रपति के पद पर रहे. यह दुर्भाग्य था कि वह दूसरी पारी में चुनाव हार गए. जिमी कार्टर व 1977 से लेकर 1981 तक अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति रहे. 01 अक्तूबर, 1924 को जन्मे जिमी कार्टर मेलानोमा बीमारी की चपेट में थे. विशेषज्ञों के अनुसार, मेलानोमा एक तरह का स्किन कैंसर है. इलाज कर रहे चिकित्सकों के अनुसार, लिवर और दिमाग तक फैल गया था. 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे गए जिम कार्टर ने 29 दिसंबर, 2024 को दुनिया को अलविदा कह दिया. इस स्टोरी में हम बता रहे हैं जिमी कार्टर के बारे में रोचक बातें.
Table of Content
- भारत के साथ रखे अच्छे रिश्ते
- जिमी के नाम पर कार्टरपुरी गांव
- समझौतों और समझदारी ने बनाया महान नेता
- निक्सन से अलग रहा था जिमी का रुख
- विदेशी मोर्चे पर दिखी समझदारी
भारत के साथ रखे अच्छे रिश्ते
जिमी कार्टर सही मायनों में दूरदर्शी नेता थे. बेशक भारत के रूस के साथ हमेशा अच्छे संबंध रहे. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही तरीकों से अमेरिका कई दशकों तक पाकिस्तान के साथ खड़ रहा. यहां तक कि युद्ध के दौरान भी भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आया. इन सबको छोड़ दिया जाए तो जिमी कार्टर ने राष्ट्रपति शासन के दौरान भारत दौरा कर दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश की. वह तीसरे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने भारत का दौरा किया था. वर्ष 1978 में उन्होंने भारत की यात्रा की थी. जिमी कार्टर ने अपनी भारत यात्रा के दौरान संसद को संबोधित किया था.
अपने संबोधन में उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को सराहा था. उन्होंने कहा था कि भारत में लोगों को चुनाव के जरिये अपनी सरकार को बदलने या फिर दोबारा चुनने का अधिकार है. 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार थी. ऐसे में यह दौरा और भी अहम हो गया था, क्योंकि कांग्रेस सत्ता में नहीं थी और विदेश नीति के मोर्चे पर एक बदलाव भी नजर आ रहा था. भारतीय संसद को संबोधित करते हुए जिमी कार्टर ने भारत और अमेरिका के बीच लोकतंत्र और लोगों की सेवा के संयुक्त मूल्यों पर जोर दिया था. यह भी रोचक है कि जिमी कार्टर ने अमेरिका में 1977 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में आर. फोर्ड को हराकर राष्ट्रपति का पद संभाला था, जबकि भारत में इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर हुई थी और जनसंघ ने सत्ता हासिल की थी. ऐसे में जिमी कार्टर का भारत दौरा अहम हो गया था.
जिमी के नाम पर कार्टरपुरी गांव
जिमी कार्टर मानवीय मूल्यों की कद्र करने वाले राजनेता थे. अपनी दूरदर्शी सोच के चलते 1978 में उन्होंने भारत दौरा किया. भारत की ओर से उन्हें बहुत सम्मान दिया गया था. 1978 में जिमी कार्टर का दौरा ऐतिहासिक हो गया था. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर के सम्मान में दिल्ली से सटे हरियाणा के छोटे से गांव का नाम ही ‘कार्टरपूरी’ रख दिया गया. उन्होंने भारत यात्रा के दौरान दिल्ली से सटे हरियाणा के दौलतपुर नसीराबाद गांव का दौरा किया था. इस दौरे में जिमी कार्टर अपनी पत्नी रोजलिन के साथ थे. दंपती का गांव में बेहद पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया. इस दौरे की तस्वीरें उस दौरान मीडिया की सुर्खियां बनी थीं. सभी अखबार जिमी कार्टर के दौरे से रंगे हुए थे. इसी दौरे में गांव का नाम कार्टरपूरी रख दिया गया. इसके बाद तो जिमी कार्टर और ग्रामीणों के बीच एक अनोखा रिश्ता कायम हो गया था.
ग्रामीण उनका जन्मदिन भी मनाते थे. लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 2002 में जब जिमी कार्टर को नोबेल शांति पुरस्कार मिला तो कार्टरपुरी में कई दिनों तक जश्न चला. लोगों ने मिठाई बांटकर एक-दूसरे को बधाई दी. लोगों को हैरानी होगी कि प्रत्येक वर्ष 3 जनवरी को कार्टरपुरी में अवकाश होता है. यहां पर यह जानना भी जरूरी है कि जिमी कार्टर की मां लिलियन ने 1960 के दशक के दौरान पीस कॉर्प्स नाम की संस्था के साथ मिलकर एक स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में इस गांव में विकास के कई कार्य किए थे.
समझौतों और समझदारी ने बनाया महान नेता
बतौर राष्ट्रपति जिमी कार्टर अपनी उदारवादी नीति के लिए जाने जाते थे. उन्होंने दूसरे देशों के साथ अच्छे संबंधों को तरजीह दी. भारत और अमेरिका के बीच अच्छे रिश्तों की स्थायी साझेदारी की नींव जिमी कार्टर ने ही रखी थी. जिसका भविष्य में दोनों देशों को फायदा हुआ. विदेश नीति के जानकारों का मानना है कि भारत-अमेरिका के बीच वर्तमान में अच्छे संबंधों का श्रेय भी जिमी कार्टर को दिया जा सकता है. जिमी की कोशिशों का ही नतीजा है कि अमेरिका और भारत के बीच अच्छे संबंध दशकों बाद भी जारी है. इस दौरान अंतरिक्ष सहयोग, ऊर्जा क्षेत्र, मानवीय सहायता, प्रौद्योगिकी, समुद्री सुरक्षा, एंटी टेरर और आपदा राहत समेत कई क्षेत्रों में भारत-अमेरिका ने मिलकर साथ काम किया है.
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मौजूदा समय में अमेरिका की भारत से करीबी और पाकिस्तान से दूरी है. इसके केंद्र में आतंकवाद है, जिसके पक्ष में ना तो कभी भारत रहा और ना ही अमेरिका. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इसके केंद्र में आतंकवाद है, जिसके पक्ष में ना तो कभी भारत रहा और ना ही अमेरिका. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारत और अमेरिका दोनों को ही आतंकवाद की कीमत चुकानी पड़ी. विदेश नीति को समझने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि 2000 के दशक में अमेरिका और भारत के बीच बहुत से समझौते हुए, लेकिन पूर्ण असैन्य परमाणु सहयोग एक ऐतिहासिक समझौता साबित हुआ था. इसके बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में भारी वृद्धि हुई है. इसका फायदा दोनों ही देशों को हो रहा है.
निक्सन से अलग रहा था जिमी का रुख
आजादी के बाद से ही अमेरिका और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंध रहे. यह भारत के सामरिक हितों के खिलाफ था, लेकिन भारत ने कभी भी इसका खुलकर विरोध नहीं किया. इसके पीछे भारत के साथ रूस जैसे बड़े और शक्तिशाली देश का खड़ा होना रहा. हर मुश्किल वक्त में रूस ने भारत की मदद की. दरअसल, कहा जाता है कि रूस और भारत के अच्छे संबंधों की वजह से ही अमेरिका पाकिस्तान के करीब रहा. आजादी के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध कभी अच्छे नहीं रहे. खासतौर से कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका का अप्रत्यक्ष समर्थन पाकिस्तान के साथ रहा. यहां तक कि अमेरिका लगातार भारत को यह ‘सीख’ देता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ बातचीत के जरिये ही कश्मीर का मुद्दा सुलझाए.
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इस पर कई बार अमेरिका की ओर से मध्यस्तता की बात भी उठती रही है, लेकिन भारत तीसरे पक्ष की उपस्थिति को ही खारिज करता रहा है. दरअसल, वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की कूटनीति ने भारत को परेशान कर दिया. युद्ध के दौरान निक्सन का झुकाव पाकिस्तान के प्रति रहा. रिचर्ड निक्सन के इस रुख के चलते भारत-अमेरिका के संबंधों में तनाव पैदा हो गया. वहीं, सत्ता परिवर्तन के बाद अमेरिका में बतौर राष्ट्रपति पद संभालने वाले जिमी कार्टर ने निक्सन के उलट भारत के साथ अच्छे संबंधों को तरजीह दी. दूरदर्शी नेता के तौर पर जिमी यह जान गए थे कि लोकतांत्रिक देश में अधिक संभावनाएं हैं. यही वजह है कि भारत के साथ अच्छे संबंध रखने को तरजीह दी.
विदेशी मोर्चे पर दिखी समझदारी
जिमी कार्टर ने अपने शासन के दौरान विदेश नीति पर अधिक जोर दिया. अमेरिका ने उस दौर में न केवल भारत बल्कि चीन से भी रिश्ते अच्छे करने की कोशिश की. अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति बने जिमी कार्टर कैंप डेविड समझौते के लिए भी हमेशा याद किए जाते रहेंगे. यह वही ऐतिहासिक समझौता था, जिसके तहत 1967 के 6 दिन तक युद्ध के दौरान कब्जाए गए क्षेत्र से पहली बार इजराइल की वापसी हुई. इसके बाद इजराइल और मिस्र के बीच शांति संधि भी अंजाम दी गई.
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जिमी कार्टर ने अक्षय ऊर्जा को तरजीह देने की शुरुआत की. इसके बाद देशी तेल के सस्ते विकल्प के तौर पर अक्षय ऊर्जा पर जोर देने की तैयारी तेज हुई. उस दौर में पनामा नहर को लेकर चीन और अमेरिका के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई. इस टकराव को टालने की कड़ी में और समझौते को आगे बढ़ाने में जिमी कार्टर की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. जिमी कार्टर की कोशिश का ही नतीजा था कि जलमार्ग को पनामा के नियंत्रण में लाया गया. इसके चलते ही लैटिन अमेरिकी पड़ोसियों के साथ अमेरिका के रिश्ते अधिक मधुर हुए. यह भी रोचक है कि अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इस पनामा नहर का उद्घाटन किया था. बाद में जिम कार्टर ने कूटनीतिक समझदारी के तहत चीन को पूर्ण राजनयिक मान्यता दी.
Conclusion
लोकतंत्र और मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने में भी जिमी कार्टर का खास योगदान रहा था. अंतरराष्ट्रीय संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान तलाशने में भी उनकी भूमिका खास रही. जिमी कार्टर को आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. माना जा रहा है कि अमेरिका के वर्तमान और भावी राष्ट्रपति भी जिमी कार्टर के सिद्धांतों पर चलते हुए विदेश नीति के मोर्चे पर काम करेंगे.
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