Introduction Of Guantanamo Bay Detention Camp
Guantanamo Bay Detention Camp: अमेरिका की सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में पकड़े गए अवैध प्रवासियों को ग्वांतानामो बे जेल में बने डिटेंशन कैंप भेजना शुरू कर दिया है. इसके लिए ग्वांतानामो बे जेल में बड़े पैमाने पर डिटेंशन कैंप बनाया जा रहा है. डोनाल्ड ट्रंप करीब 30 हजार निर्वासितों को रखने की क्षमता वाले कैंप के निर्माण का आदेश दिया है.
बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 29 जनवरी को निर्वासित को ग्वांतानामो बे भेजने का फैसला लिया था. ऐसे में 10 प्रवासियों को क्यूबा बेस पर भेजा जा चुका है. इन सभी को हाई रिस्क वाला शख्स माना गया है. संदिग्ध आतंकी को रखने और अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले के तुरंत बाद आतंक के खिलाफ अमेरिकी युद्ध के दौरान यातना के आरोपों के लिए बदनाम इस जेल में वर्तमान में 30-35 कैदी हैं.
बता दें कि यह जेल क्यूबा में स्थित है, जिसे दुनिया की सबसे महंगी जेल मानी जाती है. इसे ब्लैक होल भी कहा जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक खूंखार आतंकियों को रखने के लिए हर कैदी के ऊपर सालाना 100 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं. ऐसे में बताते हैं आपको इस खूंखार जेल की पूरी कहानी.
Table Of Content
- कैसे अस्तित्व में आया Guantanamo Bay जेल?
- क्यों बदनाम है Guantanamo Bay जेल?
- कौन था Guantanamo Bay जेल का पहला कैदी?
- कितने कैदी पहुंचे Guantanamo Bay जेल ?
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कैसे अस्तित्व में आया Guantanamo Bay जेल?
दरअसल, अमेरिकी सरकार ने साल 1903 में क्यूबा के दक्षिण-पूर्वी इलाके में 45 वर्ग मील की जमीन लीज पर ली थी. इस दौरान अमेरिकी सेना ने इसे नौसेना का बेस बनाया था. अमेरिकी और क्यूबा की सरकार के बीच समझौते के तहत करीब 122 साल से यह लीज अभी तक चल रही है. हालांकि, क्यूबा सरकार ने साल 1959 के बाद से ही इस पर आपत्ति जताया है.
दरअसल, साल 1959 में फिदेल कास्त्रो क्यूबा के राष्ट्रपति चुने गए. इसके बाद दोनों देशों के संबंध खराब होते चले गए. फिदेल कास्त्रो को लेकर अमेरिकी एजेंसियों पर आरोप है कि उन्होंने कई बार फिदेल कास्त्रो की हत्या की कोशिश की. इसके बाद से क्यूबा सरकार ग्वांतानामो बे जेल पर कब्जे को अवैध बताता रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साल 1991 से 1993 तक और फिर 1994 से 1996 तक अमेरिकी सेना ने कैरिबियन द्वीप समूह के दो देश हैती और क्यूबा के लोगों को इसमें रखना शुरू किया. यह लोग अमेरिका में शरण लेने के लिए अपने देश से भाग गए थे. इन शरणार्थियों और प्रवासियों को समुद्र में तटरक्षक बलों की ओर से रोक लिया गया था. अमेरिका के वर्ल्ड ट्रे़ड टावर पर 9/11 आतंकी हमले के बाद साल 2002 में इसे जेल में बदल दिया गया था.
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क्यों बदनाम है Guantanamo Bay जेल?
मानवाधिकारों के हनन के लिए अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक शुरुआत से ही यह जेल मानवाधिकारों के हनन और सैन्य क्रूरता को लेकर विवादों की गिरफ्त में रही है. बता दें कि 9/11 आतंकी हमले के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने आतंक के खिलाफ खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी. उन्होंने इस दौरान कहा था कि आतंक का मुकाबला करने और लोगों को सुरक्षित रखने की जरूरत मानवाधिकारों का सम्मान करने के दायित्व से अधिक महत्वपूर्ण है.
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इसके बाद 11 जनवरी 2002 को आतंकियों का पहला बैच इस जेल में भेजा गया. एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार अमेरिकी सरकार ने बंदियों को ग्वांतानामो में रखने का फैसला इसलिए लिया, क्योंकि वह चाहते थे कि वहां न तो अमेरिकी और न ही अंतराष्ट्रीय कानून लागू हो सके. फिर क्या था, यह जेल आतंक-विरोध के नाम पर अमेरिकी सरकार की ओर से किए गए घोर मानवाधिकार हनन और अत्याचार का प्रतीक बन गई. ग्वांतानामो खाड़ी के तट पर स्थित होने के इसे ग्वांतानामो जेल कहा गया.
कौन था Guantanamo Bay जेल का पहला कैदी?
शकर आमेर नाम के एक शख्स को पहली बार ग्वांतानामो बे जेल में शिफ्ट किया गया. उसे 9/11 आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान में हिरासत में लिया गया था. अमेरिकी सेना ने दावा किया कि वह सऊदी अरब की एक चैरिटी के लिए काम करता था. शकर आमेर को साल 2015 में रिहा किया गया था. शकर आमेर का जन्म साल 1966 में सऊदी अरब में हुआ था. साल 1986 में वह अमेरिका गया और फिर 1996 में लंदन चला गया.
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लंदन की एक युवती से विवाह करने के बाद वह ब्रिटेन के स्थायी निवासी बन गया था. इसके बाद वह अफगानिस्तान पहुंचा. मानवाधिकारों के हनन के लिए अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों का दावा है कि अमेरिकी सेना ने आतंकियों और संदिग्धों को पकड़ने के लिए पूरे अफगानिस्तान और पाकिस्तान में पर्चे गिराए, जिसमें किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ने वाले को 5,000 डॉलर इनाम देने की बात लिखी गई थी. उसी समय उसे भी सैकड़ों लोगों की तरह पकड़ कर अमेरिकी सेना के हवाले कर दिया गया.
ऐसे में ग्वांतानामो जेल में बंदियों में से अधिकांश कैदियों को को कभी अमेरिकी सेना ने नहीं पकड़ा ही नहीं था. उसे पकड़ने के बाद अफगानिस्तान के बगराम एयरफील्ड ले जाया गया और उसे एक सप्ताह से ज्यादा समय तक जगाए रखा गया. उसे ‘कैदी 005’ का नाम दिया गया. साल 2002 में उसे ग्वांतानामो बे भेज दिया गया. जेल से छूटने के बाद उसने दावा किया कि जेल में उसके साथ अत्याचार किया गया.
सुरक्षाकर्मी उसे रोज मारते थे. उसे साल 2007 में पहली बार रिहा करने का आदेश दिया गया था. फिर भी उसे जेल में ही रखा गया. बता दें कि शकर आमेर पर कभी कोई आपराधिक आरोप नहीं लगाया गया. शकर आमेर ने रिहा होने के बाद उसने दावा किया था कि जब उसे प्रताड़ित किया जा रहा था, तब MI5 के अधिकारी भी उसके कमरे में मौजूद थे. ऐसे में माना जाता है कि CIA की भी इसमें संलिप्तता थी.
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कितने कैदी पहुंचे Guantanamo Bay जेल ?
साल 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 800 लोग इस जेल की कोठरियों से होकर गुजर चुके हैं. वर्तमान में करीब 30 से 35 लोग अभी भी इस जेल में बंद हैं. इन 800 लोगों में से सिर्फ 7 लोगों को ही दोषी ठहराया गया है. दावा किया जाता है कि इसमें से 16 को रिहा करने का आदेश जारी हो चुका है, लेकिन वह अभी भी हिरासत में ही हैं. ऐसे में ग्वांतानामो बे जेल को लेकर कहा जाता है कि, जो इस जेल में गया, उसका जिंदा लौट पाना मुश्किल है. माना जाता है कि इस जेल में आने के बाद कैदियों का बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह से खत्म हो जाता है.
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जेल को तीन हिस्सों में बांटा गया है. जेल के अंदर ही क्लीनिक, कोर्ट पेरोल बोर्ड और सुनवाई कक्ष बनाए गए हैं. जेल होने के बाद भी ग्वांतानामो बे हाईटेक सुविधाओं से लैस है. जेल में कैदियों के लिए जिम और प्ले स्टेशन के साथ ही साथ सिनेमा हॉल की सुविधा होने का दावा किया जाता है. साथ ही एक कैदी के लिए 45-45 से ज्यादा सैनिकों की तैनाती की जाती है. ऐसे में माना जाता है कि यह दुनिया की सबसे महंगी जेल है. रिपोर्ट के मुताबिक एक कैदी को रखने के लिए हर साल लगभग 100 करोड़ रुपए का खर्च होता है, जो किसी भी संघीय जेल से कहीं ज्यादा है.
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Conclusion Of Guantanamo Bay Detention Camp
बता दें कि वर्तमान में ग्वांतानामो बे जेल अन्याय का वैश्विक प्रतीक बन चुका है. माना जाता है कि 7 सालों में अमेरिकी सरकार ने ग्वांतानामो बे की सच्चाई को दबाने की कोशिश की है. रिप्रीव नामक संस्था के मुताबिक ग्वांतानामो में बंद सभी लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी. बाद में इसे टाल दिया गया. वहीं, 9 लोगों की जेल में मौत हो चुकी है. अन्याय और मानवाधिकारों के हनन के लिए बदनाम हो चुकी इस जेल को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा बंद करना चाहते थे.
साल 2009 में राष्ट्रपति के रूप में अपने चुनाव के तुरंत बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जनता से वादा किया था कि वह एक साल के भीतर ग्वांतानामो बे को बंद कर देंगे. हालांकि, साल 2018 में डोनाल्ड ट्रंप ने इस जेल को चालू रखने का आदेश जारी किया. साल 2023 में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स ने ग्वांतानामो बे को बंद करने के लिए सर्वदलीय संसदीय समूह की स्थापना की. वहीं साल 2023 में पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस जेल को बंद करने का नया आह्वान किया था.
अब डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिका की सत्ता संभाल चुके हैं और माना जा रहा है कि वह ग्वांतानामो बे जेल को बंद नहीं होने देंगे. साथ ही उन्होंने अमेरिका में पकड़े गए अवैध प्रवासियों को ग्वांतानामो बे जेल में बने डिटेंशन कैंप भेजना शुरू कर दिया है. अभी तक यह नहीं पता है कि अवैध प्रवासियों को कब तक डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा. हालांकि, उन्होंने कहा है कि ग्वांतानामो बे जेल का इस्तेमाल अमेरिकी लोगों को धमकी देने वाले सबसे खराब आपराधिक अवैध विदेशियों को हिरासत में लेने के लिए किया जाएगा. साथ ही उन्होंने कई देशों के अवैध प्रवासियों को उनके देश भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ऐसे में माना जा रहा है कि अवैध प्रवासियों को ज्यादा समय तक ग्वांतानामो बे जेल में नहीं रखा जाएगा.
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