Gan Sabra Home: आइजोल में गण सबरा होम ने 7 मई को विश्व एड्स अनाथ दिवस मनाया, जिसमें एचआईवी/एड्स से अनाथ बच्चों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया. होम ऐसे बच्चों की देखभाल करता है और बीमारी से प्रभावित परिवारों की सहायता करता है.
08 May, 2024
World AIDS Orphans Day: मिजोरम में एड्स से प्रभावित बच्चों के लिए समर्पित गण सबरा अनाथालय में ‘वर्ल्ड एड्स ऑर्फन डे’ मनाया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य एड्स ऑर्फन के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता फैलाना और उन्हें देखभाल और मदद के लिए प्रेरित करना है. सेंट्रल वाईएमए की सहायक सचिव फैबियन लालफाकावमा ने बतौर चीफ गेस्ट इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. गैर सरकारी संगठनों, कॉलेज के छात्रों और मिजोरम राज्य बाल संरक्षण के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में मौजूद रहे.
20 सालों से कर रहा काम
सेंट्रल वाईएमए के सहायक सचिव फैबियन लालफाकावामा का कहना है कि ‘आज बच्चों के साथ करीब 20 सालों तक काम करने के बाद, मुझे लगता है कि बच्चों के पास अपने मुद्दे हैं जो एचआईवी से कहीं ज़्यादा बड़े हैं. जो अनाथ हैं, जो बच्चे उपेक्षित हैं. वो हर चीज के अलावा एचआईवी पॉजिटिव हैं. वो संक्रमित हैं और इस वजह से उनके साथ भेदभाव किया जाता है, उनकी उपेक्षा की जाती है.’
कब हुई थी स्थापना
मिजोरम में ‘गण सबरा’ की स्थापना साल 2006 में हुई थी. एचआईवी/एड्स से पीड़ित बच्चों के लिए ये एक आश्रय स्थल के रूप में कार्य करता है. राज्य में एचआईवी/एड्स से पीड़ित बच्चों के लिए ये एकमात्र रेफरल केंद्र है, जो वर्तमान में 50 व्यक्तियों की देखभाल कर रहा है. इसके अवाला, कम्युनिटी सपोर्ट प्रोग्राम के जरिए अनाथालय अलग-अलग जिलों के परिवारों को शिक्षा, भोजन, चिकित्सा उपचार और जरूरी एआरटी दवाएं मुहैया कराता है. इस कार्यक्रम में एड्स ऑर्फन के सामने आने वाली चुनौतियों को संबोधित करते हुए रिपोर्ट और भाषण दिए गए, जिसमें उनकी बेहतरी के लिए देखभाल, शिक्षा और अवसरों की जरूरत पर जोर दिया गया. कार्यक्रम में गण सबरा अनाथालय के बच्चों ने डांस परफॉर्मेंस भी दी.
सहायताएं
इसके अलावा, गण सबरा एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) उपचार और एचआईवी पॉजिटिव माताओं के बच्चों को फॉर्मूला दूध उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है. इस दिन के उत्सव में मिजोरम राज्य बाल संरक्षण और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों ने भाग लिया.उल्लेखनीय है कि गण सबरा के तहत आश्रय चाहने वाले बच्चों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, जिनमें से कई ने अपने माता-पिता को बीमारी के कारण खो दिया है. घर के समर्थन से, उन्हें उचित चिकित्सा उपचार और पोषण तक पहुंच प्राप्त होती है और उन्हें शैक्षिक अवसरों के साथ-साथ जीवन कौशल प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है.
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