10 February 2024
क्रोनिक पेन से उबरने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक दर्द में रहना पड़ता है। क्रोनिक पेन के सोशल और मेंटल प्रभाव ज्यादा होते हैं। मतलब साफ है कि अगर आपके आस-पास भी कोई महिला क्रोनिक पेन से पीड़ित है तो उसे अच्छा माहौल दें। क्रोनिक पेन, शरीर के किसी भी अंग में उठने वाला दर्द है जो कभी ज्यादा तो कभी कम हो जाता है। ये चोट, सर्जरी, सूजन या फिर किसी घटना के कारण हो सकता है। जो समय-समय पर बढ़ता और घटता रहता है।
इस दर्द के बढ़ने का मुख्य कारण है- इसे नज़रअंदाज़ करना। पुराने दर्द का अगर समय रहते इलाज नहीं करवाया जाए तो ये उम्र के साथ बढ़ने लगता है।
क्या है क्रोनिक पेन
क्रोनिक पेन एक तरह का पुराना दर्द होता है, जो मांसपेशियों में उठता है और फिर कंधों, पीठ, कमर और शरीर के बाकी हिस्सों में पहुंचता है। रिपोर्ट्स में किए दावे के मुताबिक, इस दर्द से शरीर में हर दम थकान और नींद आने की समस्या बनी रहती है। दिल्ली के पंचशील के मैक्स अस्पताल और लाजपत नगर के मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर की सलाहकार डॉ. मैरी अब्राहम ने कहा है कि- हमें हमेशा ये ध्यान रखना चाहिए कि दर्द एक ‘बायोसाइकोसोशल’ घटना है।’। इसका मतलब है कि हमारे आसपास हो रही घटनाएं कैसे मानव विकास को प्रभावित करती हैं। इसी के साथ ही मैक्स मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल की मनोचिकित्सक डॉ. वंदना वी. प्रकाश ने जानकारी देते हुए ये भी बताया है कि ‘दिमाग और शरीर को अलग नहीं किया जा सकता’। सीधे शब्दों में समझा जाए तो जो घटनाएं आपके आसपास हो रही हैं वो चाहे सामाजिक हैं या आर्थिक उससे आपके सीधे दिमाग पर असर पड़ेगा और फिर क्रोनिक पेन जैसी समस्याएं सामने आएंगी।
महिलाओं में आम है समस्या
मुंबई की आशीर्वाद इंस्टीट्यूट फॉर पेन मैनेजमेंट एंड रिसर्च की डायरेक्टर डॉ. लक्ष्मी वास ने कहा है कि महिलाओं की समस्या ज्यादा हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से भी होती है। महिलाओं की समस्याओं को आज तक इसलिए भी आगे नहीं रखा गया क्योंकि समाज काफी हद तक मेल डॉमिनेटेड है। महिलाओं की परेशानियों को सामाजिक तौर पर कहने से सभी लोग हिचकते हैं। आज तक महिलाएं सिर्फ असमानता, भेदभाव के संघर्ष से ही जूझती रहती है जो उनके अंदर तनाव पैदा करता है’। ये तनाव इतना ज्यादा होता है कि उसके बाद से क्रोनिक पेन का रूप ले लेता है।