14 February 2024
चिकनगुनिया एक ऐसा वायरल है जो मच्छर के काटने से होता है। हालांकि, ये वायरस एडीज एल्बोपिक्टस और एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। चिकनगुनिया को येलो फीवर के नाम से भी जाना जाता है। रिसर्चर्स के मुताबिक, वैसे चिकनगुनिया वायरल पूरी तरह से ठीक तो हो जाता है, मगर ये फिर भी घातक साबित हो सकता है। ‘द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज’ में प्रकाशित हुई नई रिसर्च में दावा किया है कि चिकनगुनिया से जूझ रहे व्यक्ति को 3 महीने बाद तक दिल और किडनी से जुड़ी समस्याओं के चलते मौत का खतरा बना रहता है। रिसर्चर्स की मानें तो, इस रोग के अधिकतर केस सामने नहीं आ पाते हैं। हालांकि, विश्वभर में इसके 5 लाख केस सामने आए जिनमें से करीब 400 लोगों ने जान गंवाई।
क्या कहती है रिसर्च
ब्रिटेन की एक रिसर्चर एनी दा पैक्साओ क्रूज के मुताबिक, “चिकनगुनिया के बढ़ने की संभावना को देखते हुए हेल्थ सेवाओं को संक्रमण के खत्म होने के बाद भी खतरे पर गौर करना चाहिए।” रिसर्चर्स ने चिकनगुनिया के करीब डेढ़ लाख केस की जांच ब्राजील से प्राप्त 10 करोड़ लोगों के आंकड़ों से की। इस रिचर्स में पाया गया कि जो लोग इस वायरस से संक्रमित थे उनके पूरी तरह से ठीक होने के बाद भी गंभीर हेल्थ समस्याएं होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। गंभीर खतरे की ये अवधि लक्षण दिखने के बाद आमतौर पर करीब 14 दिन की होती है।
फैलने की वजह
शोध के अनुसार, चिकनगुनिया से पहले हफ्ते में संक्रमित व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के मुकाबले मौत का खतरा 8 गुना तक अधिक होता है। रिसर्चर्स ने आगे बताया, ऐसे व्यक्ति को संक्रमण के लगभग 3 महीने बाद की मौत का खतरा दोगुना रहता है। रिसर्च के मुताबिक, एडीज जनित बीमारियों के बढ़ने और दूसरे इलाकों में फैलने का अधिक खतरा मौसम में बदलाव, शहरीकरण और ह्यूमन एक्टिविटीज के कारण रहता है। इस हिसाब से देखा जाए तो चिकनगुनिया रोग ह्यूमन हेल्थ के लिए एक बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है।
चिकनगुनिया का इलाज
रिसर्चर्स की मानें तो, चिकनगुनिया बीमारी को कंट्रोल करने या इसके बाद के कॉम्पिलिकेशन्स का कोई स्पेशल ट्रीटमेंट मौजूद नहीं है। हालांकि, ‘यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ द्वारा नवंबर 2023 में चिकनगुनिया की पहली वैक्सीन को मान्यता प्रदान हुई थी।