Gurudutt Birth Anniversary: हिंदी सिनेमा का वह सितारा जिसने ऐसी-ऐसी फिल्में बनाईं जिन्हें देखकर सालों पहले लोग हैरान हो जाया करते थे. उस कलाकार का नाम है गुरुदत्त. आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी (9 जुलाई,1925) पर गुरुदत्त की जिंदगी पर एक नजर डालते हैं.
09 July, 2024
Gurudutt Birth Anniversary: ‘वक्त ने किया क्या हसीं सितम…तुम रहे ना तुम, हम रहे ना हम…’ ‘जेनज़ी’ का तो पता नहीं लेकिन एक जमाना था जब इन लाइनों को सुनकर लोगों को सिर्फ एक ही नाम याद आता था- गुरुदत्त. हिंदी सिनेमा का वो सितारा जिन्होंने अपने काम से नाम कमाया. उन्होंने भारतीय सिनेमा को ‘प्यासा’, ‘साहिब बीबी और गुलाम’, ‘कागज के फूल’, ‘चौदहवीं का चांद’ जैसी कई बेहतरीन फिल्मों का तोहफा दिया. उनकी फिल्मों में जो अकेलापन और खालीपन दिखता था, वही गुरुदत्त की असल जिंदगी में भी था. आज गुरुदत्त की बर्थ एनिवर्सरी पर उन्हीं की जिंदगी पर एक नजर डालते हैं.
कम उम्र में कहा दुनिया को अलविदा
9 जुलाई 1925 को पैदा हुए गुरुदत्त ने दुनिया में सिर्फ 39 बसंत ही देखे. उनका जन्म कर्नाटक के पादुकोण कस्बे में चित्रपुर सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता एक बैंकर, मां टीचर और राइटर थीं. बचपन में ही उनका परिवार कोलकाता शिफ्त हो गया. वहीं पर गुरुदत्त बड़े हुए. कोलकाता में ही लीवर ब्रदर्स फैक्ट्री में गुरुदत्त को एक टेलीफोन ऑपरेटर की नौकरी मिल गई. हालांकि, यहां उनका ज्यादा मन नहीं लगा, इसलिए कुछ समय बाद वह अपने चाचा के पास मुंबई चले आए. यहां उन्होंने गुरुदत्त को पुणे में प्रभात फिल्म कंपनी में 3 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी दिलवा दी. बस यहीं से उनकी जिंदगी बदलने की शुरुआत हो गई.
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गुरुदत्त का परिवार
गुरुदत्त 4 बहन-भाई थे. उनकी बहन ललिता पेंटर थीं, भाई आत्मा राम डायरेक्टर थे. उनके एक भाई फिल्म प्रोड्यूसर थे और चौथे भाई का नाम था- विजय. यहां पर बता दें कि ‘प्यासा’ फिल्म में नायक का नाम भी विजय ही था. मशहूर डायरेक्टर श्याम बेनेगल मरहूम गुरुदत्त के कजिन हैं. कुल मिलाकर गुरुदत्त के परिवार में टैलेंटेड लोगों की कमी नहीं थी.
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एक धोबी की वजह से हुई देवानंद से दोस्ती
दौर था जब देवानंद और गुरुदत्त दोनों ही अपने करियर को लेकर स्ट्रगल कर रहे थे. तब एक ही धोबी दोनों के कपड़े धोया करता था. एक दिन गलती से उसने देवानंद और गुरुदत्त की शर्ट बदल दी. देवानंद ने सेट पर गुरुदत्त को अपनी वही शर्ट पहने देखा. जब उन्होंने गुरुदत्त से पूछा तो जवाब मिला कि मेरे पास दूसरी शर्ट नहीं थी. इसलिए वह धोबी से यही लेकर आ गए. अपनी शर्ट वापस लेने के चक्कर में दोनों ऐसे मिले कि जिंदगी भर का साथ बन गया. देव ने वादा किया कि जब भी उन्हें फिल्म बनाने का मौका मिलेगा तब वह गुरुदत्त को ही डायरेक्टर बनाएंगे. दूसरी तरफ गुरुदत्त ने भी कह दिया कि वह डायरेक्टर बने तो हीरो देव को ही लेंगे. देवानंद को अपना किया वादा याद रहा और उन्होंने ‘बाजी’ फिल्म के लिए गुरुदत्त को बतौर डायरेक्टर साइन कर लिया. यह फिल्म हिट हुई और गुरुदत्त की जिंदगी बदल गई.
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