Gurudutt Birth Anniversary: गुरुदत्त ने 39 साल की उम्र में ही दुनिया छोड़ दी थी. हालांकि, उन्होंने कई बेमिसाल फिल्में बनाईं. आज गुरुदत्त की बर्थ एनिवर्सरी पर समझते हैं उनकी निजी जिंदगी के अफसाने.
09 July, 2024
Gurudutt Birth Anniversary: बॉलीवुड के मशहूर निर्माता-निर्देशक और एक्टर गुरुदत्त ने अपने जीवन की उदासियों और तकलीफों को फिल्मों में उकेरा. जीनियस कहे जाने वाले गुरुदत्त की काबिलियत की ‘प्यास’ उनकी फिल्मों में साफ नजर आती है. प्यार में नाकामी मिलने और पत्नी से अनबन के चलते गुरुदत्त ने सुसाइड कर लिया वरना वह कुछ और बेमिसाल फिल्मों को पर्दे पर उतारते. गुरुदत्त की बर्थ एनिवर्सरी पर समझते हैं उनकी निजी जिंदगी के अफसाने.
पहला प्यार
अपने जमाने की खूबसूरत सिंगर गीता गुरुदत्त का पहला प्यार थीं. दोनों की पहली मुलाकात साल 1951 में रिलीज हुई फिल्म ‘बाजी’ के सेट पर हुई थी. इसमें गीता ने ‘तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले’, ‘ये कौन आया’ और ‘देख के अकेली मोहे’ जैसे शानदार गाने गाए थे. बस, साथ काम करते-करते गीता और गुरुदत्त एक-दूसरे को दिल दे बैठे. 3 साल के रिलेशनशिप के बाद दोनों ने साल 1953 में शादी कर ली. फिर दोनों तीन बच्चों के माता-पिता बने.
बॉलीवुड और एंटरटेनमेंट से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक
पति-पत्नी और वो
शादी के कुछ समय बाद तक गुरुदत्त और गीता के बीच सबकुछ अच्छा चला. दोनों अपने करियर में बढ़िया कर रहे थे, मगर चार साल बाद दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए. वजह पति-पत्नी और ‘वो’ थी. यहां गुरुदत्त और गीता के बीच में वहीदा रहमान आ चुकी थीं. वो ऐसा वक्त था गुरुदत्त का नाम गीता के संग कम और वहीदा के साथ ज्यादा लिया जाता था. जब गीता को इस बात की भनक लगी तब दोनों के बीच झगड़े होने लगे. इतना ही नहीं वह अपने तीनों बच्चों के साथ घर छोड़कर चली गईं.
वहीदा को किया लॉन्च
वहीदा रहमान की पहली बॉलीवुड फिल्म थी ‘CID’ जिसे गुरुदत्त ने ही डायरेक्ट किया था. यानी उन्होंने ही वहीदा को लॉन्च किया. साथ काम करते-करते दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे. हालांकि, धीरे-धीरे वहीदा भी गुरुदत्त से दूर होती चली गईं. पत्नी पहले ही अलग रहने लगी थीं और महबूबा ने भी साथ छोड़ दिया. ऐसे में गुरुदत्त बिल्कुल तन्हा रह गए. यही वजह थी कि वह शराब की लत में डूबने लगे. उनकी जिंदगी का अंत भी कम चौंकाने वाला नहीं था.
राजनीति और अन्य विषयों से जुड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें
जब डूबा गुरुदत्त की जिंदगी का सूरज
गुरुदत्त की जिंदगी का आखिरी दिन, 10 अक्तूबर, 1964 था. इससे कुछ दिन पहले उन्होंने पत्नी गीता से कहा कि वह बच्चों से मिलना चाहते हैं. गीता मान गईं और 9 तारीख को बच्चों से मिलने की इजाजत दे दी. 9 अक्तूबर की सुबह गुरुदत्त बच्चों के साथ घूमने गए. लौटकर आए तो अपनी अगली फिल्म ‘बहारे फिर भी आएंगी’ पर काम करने लगे. इस प्रोजेक्ट पर गुरुदत्त लेखक अबरार अल्वी के साथ काम कर रहे थे. अचानक गुरुदत्त ने अबरार से कहा- मैं रिटायर होना चाहता हूं. मानों जैसे उन्हें पता हो कि उनके लिए कल का सूरज देखना मुमकिन नहीं होगा. खैर, अबरार ने उनकी इस बात को मजाक में उड़ा दिया और रात को अपने घर चले गए. जब अगली सुबह वह गुरुदत्त के घर पहुंचे तो हिंदी सिनेमा का ‘प्यारा’ अपनी आधी पढ़ी नोवल के साथ मृत मिले. गुरुदत्त के बाद धर्मेंद्र ने उनकी आखिरी फिल्म ‘बहारे फिर भी आएंगी’ को पूरा किया था.