JNU Student Union Elections: जेएनयू में छात्र संघ की तरफ से अधिसूचना जारी होने के बाद इलेक्शन और रिजल्ट की तारीखों का एलान हो गया है। इसके साथ ही कैंपस में आचार संहिता भी लागू हो गई है। जनरल बॉडी के नियमों के अनुसार ही अब छात्र संगठन अपना प्रचार करेंगे।
11 March 2024
JNU Election 2024: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्र संघ चुनाव का शंखनाद हो चुका है। यह चुनाव चार साल बाद हो रहा है। इस बार जेएनयू में 20 मार्च को प्रेसिडेंशियल डिबेट और वोटिंग 22 मार्च को होगी। वोटिंग के बाद रिजल्ट 24 मार्च को जारी कर दिया जाएगा। जेएनयू के इलेक्शन के बारे में आप लोगों ने बहुत सुना होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि यहां पर चुनाव कैसे होते हैं। यह इलेक्शन अन्य यूनिवर्सिटियों से कैसे अलग होते हैं। इसके साथ ही कैंपस में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की तरह डिबेट कराई जाती है।
इन चार पदों पर होते हैं इलेक्शन
जेएनयू में चार पदों के लिए चुनाव होता है, इसमें मुख्य रूप से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद शामिल हैं। चार साल बाद कैंपस में अधिसूचना जारी होने से छात्रसंघ एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। इसी प्रक्रिया को पूरी करने के लिए यूनिवर्सिटी में 10 फरवरी को यूनिवर्सिटी जनरल बॉडी मीटिंग (UGBM) आयोजन किया गया था, जिसमें कई तरह के प्रस्ताव पारित किए गए थे।
यूजीएम की मीटिंग है काफी महत्वपूर्ण
स्टुडेंट यूनियन इलेक्शन करने के लिए सबसे पहले मौजूदा छात्रसंघ के पदाधिकारी, डीन ऑफ स्टूडेंट (डीओएस) कार्यालय को एक सूचना भेजते हैं। इसके बाद ही डीओएस कार्यालय छात्रसंघ पदाधिकारियों को यूजीबीएम कराने की अनुमति देता है। इस मीटिंग में कैंपस के सभी स्टूडेंट मौजूद होते हैं और चुनाव में लागू किए जाने वाले नियमों पर चर्चा करते हैं। अगर किसी स्टूडेंट को आयु में छूट देनी हो या कोई विशेषाधिकार देना हो तो इसी बैठक में ही चर्चा की जाती है।
चुनाव का अगला पड़ाव
यूनिवर्सिटी जनरल बॉडी की मीटिंग में जितने भी निर्णय लिए गए हैं, उसकी सारी जानकारी डीओएस कार्यालय भेज दी जाती है और डीओएस ही सभी नियमों की अधिसूचना जारी करता है। साथ ही छात्रसंघ के दो पदाधिकारियों को सभी स्कूलों में जीबीएम कराने के लिए बोला जाता है। बता दें कि डीओएस की मंजूरी मिलने के बाद ही जेएनयू के 13 स्कूलों और सात सेंटरों की अलग-अलग जनरल बॉडी मीटिंग कराई जाती है। जीबीएम की बैठक के दौरान सभी स्कूलों के छात्र, चुनाव समिति के एक सदस्य की सर्वसम्मति से चुनाव किया जाता है, अगर कोई भी एक स्टूडेंट इसका विरोध करता है तो उसको नहीं चुना जाता है।
इस मीटिंग में होता है नामांकन भरने का फैसला
सभी स्कूलों की जनरल बॉडी मीटिंग के खत्म होने के बाद, चयनीत चुनाव समिति के सदस्यों में से एक को अध्यक्ष बनाया जाता है। इसके बाद चुनाव समिति के सदस्यों की सहमति से अध्यक्ष छात्रसंघ के पदाधिकारियों और काउंसलर के चुनाव की तारीखों का एलान होता है। इसी मीटिंग में उम्मीदवार के नामांकन भरने और वापस लेने के साथ मतदान की तारीखों का एलान होता है। उसी समय से कैंपस में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। इसके बाद कोई भी छात्र संगठन किसी भी स्टूडेंट को लुभाने का काम नहीं करता है।
क्यों है कैंपस में प्रेसिडेंशियल डिबेट
जब जेएनयू में इलेक्शन होता है तब उसको कवर करने के लिए नेशनल मीडिया भी कैंपस में पहुंच जाता है, यूनिवर्सिटी के चुनाव तो काफी सुर्खियां बटोरते हैं। लेकिन मतदान से पहले कैंपस में होने वाली प्रेसिडेंशियल डिबेट भी अपना रंग जमाती है। चुनाव से पहले सभी छात्र संगठन के उम्मीदवार मंच पर आते हैं और किसी खास मुद्दे पर डिबेट करते हैं। इस दौरान नेशनल से लेकर कैंपस के मुद्दों पर डिबेट की जाती है, जो चुनाव के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि यहां पर जिस प्रत्याशी का वर्चस्व होता है… वह ही वोटिंग वाले दिन अपना प्रभाव छोड़ पाता है। कहा जाता है कि जेएनयू में इलेक्शन से पहले की डिबेट अमेरिकी चुनाव की तरह है। वहां पर भी ऐसे ही प्रेसिडेंट की डिबेट कराई जाती है।