Home Business Land Registration: आसान भाषा में समझिए कैसे होती है जमीन की रजिस्ट्री, क्या है पूरा Process?

Land Registration: आसान भाषा में समझिए कैसे होती है जमीन की रजिस्ट्री, क्या है पूरा Process?

by Arsla Khan
0 comment
Land Registration: आसान भाषा में समझिए कैसे होती है जमीन की रजिस्ट्री?

How To Do Land Registration: आपने अक्सर लोगों को जमीन खरीदते या बेचते हुए देखा होगा. आइये जानते हैं कि घर का मालिकाना हक लेने के लिए क्या-क्या करना होता है.

29 Sep, 2024

How To Do Land Registration: अगर आप भी घर खरीदना या बेचना चाहते हैं तो ये खबर आपके काम की है. अपने जीवन में व्यक्ति जमीन को काफी महत्व देता है. इतना ही नहीं, इसके लिए लोग अपने जीवन भर की कमाई भी दांव पर लगा देते हैं. तब जाकर उनका आशियाना बन पाता है. जमीन या घर कैसे खरीदा जाता है और आखिरकार कैसे इसका रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है? यानी रजिस्ट्री कैसे होती है? आइये जानते हैं.

जमीन के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया?

जमीन या घर खरीदने के लास्ट स्टेप में लोगों को रजिस्ट्री करानी होती है. रडिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया बैनामा (Sale Deed) रजिस्टर्ड करने पर पूरी होती है. सबसे पहले जमीन के खरीदार और बेचने वाले को आपसी सहमति से बैनामा तैयार करवाना होता है. इसके बाद इस बैनामा के आधार पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जाता है. जिस जमीन की रजिस्ट्री की जा रही है, उसके दस्तावेज और क्रेता (खरीदने वाला) – विक्रेता (बेजने वाला), दोनों को अपने फोटो समेत कई Documents ऑनलाइन सबमिट करने होते हैं. ऑनलाइन फॉर्म सबमिट होने के बाद एक रजिस्ट्रेशन नंबर मिलता है. इस रजिस्ट्रेशन नंबर और सेल डीड के साथ आपको रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचना होता है. यहां सब रजिस्ट्रार जांच के बाद बैनामा को रजिस्टर्ड कर देते हैं. वैसे तो मुहर लगाकर औरिजनल (Original) बैनामा उसी दिन वापस कर दिया जाता है. लेकिन यह बैनामा खरीदार को अगले दिन भी दिया जा सकता है.

क्या होती है रजिस्ट्री (Registry)?

प्रॉपर्टी खरीदने पर उसके मालिकाना हक को घर खरीदने वाले से लेकर बेचने वाले के पक्ष में सारी details ट्रांसफर कराने को ही रजिस्ट्री कहते हैं. आसान शब्दों में कहें तो किसी जमीन के मूल दस्तावेजों पर उसके मालिक का नाम हटाकर जो घर खरीदने वाले मालिक है. घर उसके नाम करना ही रजिस्ट्री है. देश में रजिस्ट्री एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके आधार पर ही जमीन की खरीद-फरोख्त की जाती है.

किन-किन Deed से जमीन हो सकती है ट्रांसफर?

बैनामा यानी Sale Deed – क्रेता और विक्रेता मिलकर तहसील में जमीन खरीदने और बेचने के लिए सेल डीड तैयार करवाते हैं. यह एक तरह से दोनों पार्टियों यानी क्रेता-विक्रेता के जरीए किये गए समझौते का कानूनी Proof माना जाता है. जो संपत्ति के सौदे को दर्शाता है. इसमें क्रेता-विक्रेता की समस्त जानकारी, संबंधित जमीन, नक्शा, गवाह, स्टांप समेत कई अन्य दस्तावेज शामिल होते हैं. इस डीड में समझौते की उन शर्तों को शामिल किया जाता है, जिन पर बिक्री निर्धारित हुई है. इसके जरिए ही विक्रेता जमीन का अंतिम कब्जा क्रेता को देता है.

इस पूरे Process के बाद ही घर पर आपका मालिकाना हक Valid माना जाता है. इसमें दानपत्र और वसीयत दो चीजें भी काफी Important होती है. जैसे दानपत्र (Gift Deed) – दरअसल, दानपत्र में जमीन का मालिक किसी को उस जमीन का मालिकाना हक दान के रूप में देता है. दानपत्र के जरिए भी लोग अपनी जमीन का हस्तांतरण किसी अन्य को कर सकते हैं. दूसरा वसीयत (Will)- किसी जमीन की वसीयत करने के लिए लोगों को स्टांप खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है. लोग 100 रुपये के स्टांप पर वसीयत टाइप कराते हैं. हालांकि कानून में इसकी जरूरत नहीं है.

क्या है Power Of Attorney?

पॉवर ऑफ अटार्नी संपत्ति हस्तांतरण का चौथा डाक्यूमेंट है. यह वो दस्तावेज है जिसे 100 रुपये के स्टांप पर तैयार किया जाता है. कोई भी आदमी अपनी पॉवर को किसी दूसरे आदमी को इसी के सहारे ट्रांसफर करता है. हालांकि, यूपी के कुछ जिलों में पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर रोक लगी हुई है. पॉवर ऑफ अटॉर्नी को लेकर राज्य सरकार नियम बनाती हैं.

कैसे काफी फायदेमंद साबित होता है इकरारनामा?

बैनामा कराने से पहले कानून में इकरारनामा का भी प्रावधान है. इसके जरिये लोग तमाम झंझटों से बच जाते हैं. यह लोगों के लिए काफी फायदेमद साबित होता है. इकरारनामा के तहत क्रेता-विक्रेता जमीन बिक्री का एक एग्रीमेंट बनवा लेते हैं. जिस एग्रीमेंट में क्रेता और विक्रेता की सहमति होती है. इसमें वह जानकारी खोली जाती है, जिसके आधार पर क्रेता जमीन खरीदने और विक्रेता जमीन बेचने पर तैयार हुआ है. इस एग्रीमेंट में जमीन की मार्केट वैल्यू का 2.5 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी देनी होती है. हालांकि बैनामा के समय एग्रीमेंट में खरीदे गए स्टांप कम किये जाते हैं. इसका मतलब यह है कि जमीन के स्टांप खरीद में एग्रीमेंट के 2.5 प्रतिशत वाले स्टांप भी जुड़ जाते हैं.

रजिस्ट्री के लिए जरूरी Documents

अब जानते हैं कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया के लिए कौन से Documents होने चाहिएं? सबसे पहले संपत्ति या जमीन की मार्केट वैल्यू निर्धारित की जाती है. इसके बाद स्टांप पेपर खरीदे जाते हैं. रजिस्ट्री से पहले इन स्टांप पेपर पर ही बैनामा टाइप कराया जाता है. स्टांप ड्यूटी जमीन के मालिक के लिए मालिकाना सबूत के तौर पर होती है. बैनामा के दौरान जमीन की खरीद-बिक्री के लिए वर्तमान मालिक और खरीदने वाले व्यक्ति की सारी जानकारी दर्ज की जाती है. इसके बाद रजिस्ट्रेशन कराया जाता है. रजिस्ट्रेशन नंबर के जरिए रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री करवाई जाती है. रजिस्ट्री में दो गवाह की भी जरूरत पड़ती है. जिनके फोटो, आईडी कार्ड और हस्ताक्षर बैनामा में शामिल किये जाते हैं. जमीन से जुड़े जरूरी दस्तावेज के साथ दोनों पार्टियों की पहचान के लिए कागजात भी दिये जाते हैं. रजिस्ट्री के बाद रजिस्ट्रार कार्यालय से एक पर्ची मिलती है. जो काफी मायने रखती है. इस पर्ची को संभालकर रखना चाहिए. पर्ची मिलने का मतलब रजिस्ट्री पूरी हो गई है यानी आपको आपकी जमीन का मालिकाना हक मिल गया है.

यह भी पढ़ें : Auto Mode Settlement: PF Account से कैसे निकाल सकते हैं 1 लाख रुपये, जानिए सारे Steps?

You may also like

Leave a Comment

Feature Posts

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!

@2024 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00