'तिरी वफा में मिली आरजू-ए-मौत मुझे...' पढ़ें खलील उर रहमान आजमी के मशहूर शेर.
यूं तो मरने के लिए जहर सभी पीते हैं,
जिंदगी तेरे लिए जहर पिया है मैं ने.
जहर सभी पीते
न जाने किस की हमें उम्र भर तलाश रही,
जिसे करीब से देखा वो दूसरा निकला.
उम्र भर तलाश
भला हुआ कि कोई और मिल गया तुम सा,
वगर्ना हम भी किसी दिन तुम्हें भुला देते.
तुम्हें भुला देते
तिरी वफा में मिली आरजू-ए-मौत मुझे,
जो मौत मिल गई होती तो कोई बात भी थी.
आरजू-ए-मौत
मिरी नजर में वही मोहनी सी मूरत है,
ये रात हिज्र की है फिर भी खूब-सूरत है.
मोहनी सी मूरत
सुना रहा हूं उन्हें झूट-मूट इक किस्सा,
कि एक शख्स मोहब्बत में कामयाब रहा.
झूट-मूट इक किस्सा