'नया इक रिश्ता पैदा क्यूं करें हम...' पढ़ें Jaun Elia के सदाबहार शेर.

सोचता हूं कि उस की याद आखिर, अब किसे रात भर जगाती है.

रात भर

तुम्हारा हिज्र मना लूं अगर इजाजत हो, मैं दिल किसी से लगा लूं अगर इजाजत हो.

हिज्र मना लूं

मेरी बांहों में बहकने की सजा भी सुन ले, अब बहुत देर में आजाद करूंगा तुझ को.

आजाद करूंगा

अब मिरी कोई जिंदगी ही नहीं, अब भी तुम मेरी जिंदगी हो क्या.

कोई जिंदगी

नया इक रिश्ता पैदा क्यूं करें हम, बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूं करें हम.

रिश्ता पैदा

क्या तकल्लुफ करें ये कहने में, जो भी खुश है हम उस से जलते हैं.

क्या तकल्लुफ