पढ़ें गुलजार की मोहब्बत भरी शायरी

वक्त रहता नहीं कहीं टिक कर आदत इस की भी आदमी सी है.

वक्त रहता

आदतन तुम ने कर दिए वादे, आदतन हम ने ए'तिबार किया.

आदतन तुम

जिस की आंखों में कटी थीं सदियां, उस ने सदियों की जुदाई दी है.

आंखों में कटी

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में, रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया.

अक्सर तुम्हारी

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते.

हाथ छूटें

कल का हर वाकिआ तुम्हारा था, आज की दास्तां हमारी है.

वाकिआ तुम्हारा