पढ़ें राहत इंदौरी के सदाबहार शेर

वो चाहता था कि कासा खरीद ले मेरा, मैं उस के ताज की कीमत लगा के लौट आया.

कासा खरीद ले

मिरी ख्वाहिश है कि आंगन में न दीवार उठे, मिरे भाई मिरे हिस्से की जमीं तू रख ले.

मिरी ख्वाहिश

सूरज सितारे चांद मिरे साथ में रहे, जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे.

सूरज सितारे

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तों, दोस्ताना जिंदगी से मौत से यारी रखो.

दो किनारे दोस्तों

बोतलें खोल कर तो पी बरसों, आज दिल खोल कर भी पी जाए.

बोतलें खोल

मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग, गीली जमीन खोद के फरहाद हो गए.

पर्बतों से लड़ता