'आ गई याद शाम ढलते ही', पढ़ें मुनीर नियाजी के बेहतरीन शेर.

 ख्वाब होते हैं देखने के लिए, उन में जा कर मगर रहा न करो.

ख्वाब होते हैं

आ गई याद शाम ढलते ही, बुझ गया दिल चराग जलते ही.

दिल चराग

कोई तो है 'मुनीर' जिसे फिक्र है मिरी, ये जान कर अजीब सी हैरत हुई मुझे.

जिसे फिक्र है

पूछते हैं कि क्या हुआ दिल को, हुस्न वालों की सादगी न गई.

सादगी न गई

'मुनीर' अच्छा नहीं लगता ये तेरा, किसी के हिज्र में बीमार होना.

हिज्र में बीमार

किसी अकेली शाम की चुप में, गीत पुराने गा के देखो.

अकेली शाम