कैफी आजमी की मशहूर शायरी जिन्हें पढ़कर दिल हार बैठते हैं लोग.
झुकी झुकी सी नजर बे-करार है कि नहीं,
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं.
दिल में प्यार
इंसां की ख्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं,
दो गज जमीं भी चाहिए दो गज़ कफन के बाद.
इंसां की ख्वाहिशों
बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमां जो बस गए,
इंसां की शक्ल देखने को हम तरस गए.
हिन्दू मुसलमां
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई,
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई.
तुम जैसे गए
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो,
क्या गम है जिस को छुपा रहे हो.
जिस को छुपा
अब जिस तरफ से चाहे गुजर जाए कारवां,
वीरानियां तो सब मिरे दिल में उतर गईं.
गुजर जाए कारवां