फिराक गोरखपुरी के जन्मदिन पर पढ़ें उनकी कुछ खास शायरी

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें, और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं.

एक मुद्दत से

बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं, तुझे ऐ जिदगी हम दूर से पहचान लेते हैं.

कदमों की आहट

तुम मुख़ातिब भी हो करीब भी हो, तुम को देखें कि तुम से बात करें.

तुम से बात करें

गरज कि काट दिए जिंदगी के दिन ऐ दोस्त, वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में.

जिंदगी के दिन

आए थे हंसते खेलते मय-खाने में 'फिराक', जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए.

पी चुके शराब

हम से क्या हो सका मोहब्बत में, खैर तुम ने तो बेवफाई की.

बेवफाई