'कैसे कह दूं कि मुझे छोड़ दिया है उस ने...' पढ़ें परवीन शाकिर के मशहूर शेर.

 मैं सच कहूंगी मगर फिर भी हार जाऊंगी, वो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा.

हार जाऊंगी

 वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी, इंतिजार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे.

में मालूम था

 कैसे कह दूं कि मुझे छोड़ दिया है उस ने, बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की.

कैसे कह दूं

अब तो इस राह से वो शख्स गुजरता भी नहीं, अब किस उम्मीद पे दरवाजे से झांके कोई.

शख्स गुजरता

दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आजाद हैं, देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन.

दोस्त भी आजाद

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है, जाग उठती हैं अजब ख्वाहिश अंगड़ाई की.

अजब ख्वाहिश