'लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में...' पढ़ें बहादुर शाह जफर के मशहूर शेर.
इन हसरतों से कह दो कहीं और जा बसें,
इतनी जगह कहां है दिल-ए-दाग-दार में.
इन हसरतों
कितना है बद-नसीब 'जफर' दफ्न के लिए,
दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में.
कू-ए-यार
दौलत-ए-दुनिया नहीं जाने की हरगिज़ तेरे साथ,
बाद तेरे सब यहीं ऐ बे-खबर बट जाएगी.
दौलत-ए-दुनिया
लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में,
किस की बनी है आलम-ए-ना-पाएदार में.
मिरा उजड़े दयार
बुलबुल को बागबां से न सय्याद से गिला,
किस्मत में कैद लिक्खी थी फस्ल-ए-बहार में.
बुलबुल को बागबां
तू कहीं हो दिल-ए-दीवाना वहां पहुंचेगा,
शम्अ होगी जहां परवाना वहां पहुंचेगा.
दिल-ए-दीवाना