'आप दौलत के तराजू में दिलों को तौलें...' पढ़ें साहिर लुधियानवी के मशहूर शेर.

कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त, सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया.

खातिर ऐ दोस्त

तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-जिंदगी से हम, ठुकरा न दें जहां को कहीं बे-दिली से हम.

कशमकश-ए-जिंदगी

अपनी तबाहियों का मुझे कोई गम नहीं, तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी.

अपनी तबाहियों

हम अम्न चाहते हैं मगर जुल्म के खिलाफ, गर जंग लाजमी है तो फिर जंग ही सही.

जुल्म के खिलाफ

आप दौलत के तराजू में दिलों को तौलें, हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं.

दिलों को तौलें

 मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया.

फिक्र को धुएं