'क्या क्या हुआ है हम से जुनूं में न पूछिए...' पढ़ें असरार-उल-हक मजाज के लाजवाब शेर.
रोएं न अभी अहल-ए-नजर हाल पे मेरे,
होना है अभी मुझ को खराब और जियादा.
अहल-ए-नजर
बहुत मुश्किल है दुनिया का संवरना,
तिरी ज़ुल्फों का पेच-ओ-खम नहीं है.
दुनिया का संवरना
क्या क्या हुआ है हम से जुनूं में न पूछिए,
उलझे कभी जमीं से कभी आसमां से हम.
जुनूं में न पूछिए
हिन्दू चला गया न मुसलमां चला गया,
इंसां की जुस्तुजू में इक इंसां चला गया.
हिन्दू चला गया
तुम्हीं तो हो जिसे कहती है नाखुदा दुनिया,
बचा सको तो बचा लो कि डूबता हूं मैं.
नाखुदा दुनिया
हाए वो वक्त कि जब बे-पिए मद-होशी थी,
हाए ये वक्त कि अब पी के भी मख्मूर नहीं.
हाए ये वक्त