'बढ़ के तूफान को आगोश में ले ले अपनी...' पढ़ें अब्दुल हमीद अदम के सदाबहार शेर.
जिन से इंसां को पहुंचती है हमेशा तकलीफ,
उन का दावा है कि वो अस्ल खुदा वाले हैं.
हमेशा तकलीफ
बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम',
बारिश के सब हुरूफ को उल्टा के पी गया.
शराब-ए-अर्श
मैं मय-कदे की राह से हो कर निकल गया,
वर्ना सफर हयात का काफी तवील था.
मय-कदे की राह
बढ़ के तूफान को आगोश में ले ले अपनी,
डूबने वाले तिरे हाथ से साहिल तो गया.
तूफान को आगोश
तकलीफ मिट गई मगर एहसास रह गया,
खुश हूं कि कुछ न कुछ तो मिरे पास रह गया.
तकलीफ मिट गई
साकी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद,
मुझ को तिरी निगाह का इल्ज़ाम चाहिए.
शराब की तोहमत