Air Pollution Death Risk: अध्ययन में पाया गया है कि नवजात में मौत की दर 19 प्रतिशत तक है, जबकि बच्चों में 17 प्रतिशत है, जबकि वयस्कों की मृत्युदर में 13 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है.
28 August, 2024
Air Pollution Death Risk: वायु प्रदूषण देश-दुनिया के लिए महामारी में तब्दील हो चुका है. आलम यह है कि वायु प्रदूषण की गिरफ्त में आकर लोग असमय मौत के मुंह में समा रहे हैं. भारत को लेकर आए एक अध्ययन ने (Air pollution in Indian) वैज्ञानिकों के साथ-साथ आम लोगों की भी नींद उड़ा दी है. ताजा अध्ययन के मुताबिक, देश के कई जिलों में वायु प्रदूषण से सभी आयु समूहों में मौत का जोखिम काफी बढ़ गया है. हालिया अध्ययन के अनुसार, भारतीय जिलों में राष्ट्रीय मानकों से अधिक वायु प्रदूषण से सभी आयु समूहों में मृत्यु का जोखिम बढ़ गया है. राष्ट्रीय मानकों को पार करने वाले वायु प्रदूषण के स्तर ने नवजात के लिए 86 प्रतिशत, जबकि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए 100-120 प्रतिशत और वयस्कों के लिए 13 प्रतिशत खतरा बढ़ा दिया है.
रसोई से शिशुओं की मौत का कनेक्शन
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मुंबई स्थित अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (International Institute for Population Sciences) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने देश के 700 से अधिक जिलों में अध्ययन किया. इसके मुताबिक, इस जिलों में महीन कण पदार्थ (पीएम 2.5) अधिक पाए गए. यह डेटा राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (पांचवें दौर) और राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (National Ambient Air Quality Standard) से लिया गया है. अध्ययन में पाया गया कि जिन घरों में अलग रसोई नहीं है, उनमें नवजात शिशुओं और वयस्कों में मृत्यु की संभावना अधिक है. यह चौंकाने वाली जानकारी भी डेटा के जरिये साझा की गई है.
खाना बनाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल खतरनाक
इसके पीछे वजह यह है कि मैदान के मध्य और निचले क्षेत्रों और मध्य भारत के जिलों में घरों में स्वच्छ ईंधन और अलग रसोई का इस्तेमाल बहुत कम है. यह भी जानकारी साझा की गई है कि मध्य प्रदेश, ओडिशा और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में गोबर के साथ-साथ बड़ी मात्रा में लकड़ी उपलब्ध है, जिनका इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जाता है. गौरतलब है कि ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर’ की सालाना रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि वर्ष 2021 में समूचे विश्व में 81 लाख लोगों की मौत के पीछे वायु प्रदूषण का योगदान था. यह आंकड़ा अलग-अलग कारणों से हुई सभी मौतों के 12 प्रतिशत के बराबर है.
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