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सेना ने मनाया World War II के दिग्गज का 100 वां बर्थडे, सिंगापुर तक अभियानों का रहे हिस्सा

by Divyansh Sharma
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सेना ने मनाया World War II के दिग्गज का 100 वां जन्मदिन, लाहौर से सिंगापुर तक कई अभियानों का बने हिस्सा- Live Times

World War II: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चरण सिंह ने तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना की ओर से कई अभियानों में भाग लिया. सेना में रहते हुए वह सिंगापुर से लाहौर तक कई अभियानों में शामिल हुए.

World War II: द्वितीय विश्व युद्ध के दिग्गज रिटायर्ड लांस नायक चरण सिंह 100 वर्ष के हो गए हैं. सेना के जवानों ने हिमाचल प्रदेश में उनके घर पर उनका 100वां जन्मदिन मनाया. जन्मदिन के समारोह में ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में सेना के कई जवान शामिल हुए. फिरोजपुर छावनी से अपने करियर की शुरुआत करने वाले चरण सिंह ने सिंगापुर से लाहौर तक सेना में काम किया. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चरण सिंह ने तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना की ओर से कई अभियानों में भाग लिया.

हिमाचल में रहते हैं द्वितीय विश्व युद्ध के दिग्गज

चरण सिंह का जन्म 7 सितंबर 1924 को हुआ था. बाद में वह भारतीय सेना में साल 1942 में भर्ती हुए. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने कई अभियानों में भी भाग लिया. भारतीय सेना में रहते हुए वह सिंगापुर से लाहौर तक कई अभियानों में शामिल हुए. बाद में वह हिमाचल प्रदेश के योल कैंटोनमेंट पहुंच गए. बता दें कि साल द्वितीय विश्व युद्ध 1939-45 तक लड़ा गया था. इस दौरान भारतीय सैनिकों को तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना की ओर से विभिन्न अभियानों में भाग लेने के लिए भेजा गया था. चरण सिंह अब हिमाचल प्रदेश के रोपड़ जिले के डेकवाला गांव में अपने चार बेटों और दो बेटियों के साथ रहते हैं.

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कभी भी सेवानिवृत्त नहीं होते हैं सैनिक : सेना

100वें जन्मदिन पर सेना की ओर से कहा गया कि सैनिक कभी भी सेवानिवृत्त नहीं होते हैं. वह हमेशा के लिए भारतीय सेना परिवार का हिस्सा और भारतीय समाज के एक जिम्मेदार सदस्य बने रहते हैं. सेना ने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि हमारे दिग्गज कल के सैनिक हैं, जिन्होंने न केवल राष्ट्र की सेवा की है, बल्कि सभी सैनिकों और नागरिकों के लिए समर्पण और बलिदान के मानक स्थापित किए हैं. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उनके समर्पण को प्रतिष्ठित बर्मा स्टार पुरस्कार और भारतीय स्वतंत्रता पदक से नवाजा गया. 17 साल की बहादुरी भरी सेवा के बाद वह 17 मई, 1959 को भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए.

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