Uttarakhand UCC: राज्य में 27 जनवरी को UCC लागू कर दिया जाएगा. 20 जनवरी को मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान UCC की नियमावली को मंजूरी मिल गई थी.
Uttarakhand UCC: उत्तराखंड से बहुत बड़ी जानकारी सामने आ रही है. उत्तराखंड में UCC यानि समान नागरिक संहिता लागू किए जाने की सभी तैयारियां हो चुकी हैं. अब जानकारी सामने आ रही है कि राज्य में 27 जनवरी को UCC लागू कर दिया जाएगा. बता दें कि 20 जनवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड की नियमावली को मंजूरी मिल गई थी. ऐसे में बड़ा सवाल है कि UCC लागू होने के बाद राज्य में लोगों के सामान्य जीवन में किस तरह के बदलाव होंगे.
सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा कानून
जानकारी के मुताबिक 20 जनवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड की नियमावली को मंजूरी दी गई थी. इस बैठक के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किए जाने की तिथि के लिए कैबिनेट ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जिम्मेदारी दी थी.
ऐसे में अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में UCC लागू किए जाने से संबंधित तारीखों का ऐलान कर दिया है. मुख्यमंत्री के मुताबिक 27 जनवरी की दोपहर में 12:30 बजे UCC पूरे राज्य में लागू कर दिया जाएगा. इसके साथ ही UCC पोर्टल भी लॉन्च किया जाएगा. इसके लिए 27 जनवरी को देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास के सेवा सदन में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.
बता दें कि साल 1947 में देश में आजादी के बाद UCC लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा. इस कानून के तहत सभी नागरिकों के व्यक्तिगत मामलों के लिए समान कानून स्थापित किया जाएगा. UCC के कानून सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होंगे, चाहे उनका धर्म या लिंग कुछ भी हो.
यह भी पढ़ें: दिल्ली की जनता के लिए BJP का संकल्प पत्र पार्ट-3 जारी, जानें तीसरे भाग में पार्टी ने क्या किए वादे
राज्य में क्या-क्या बदलेगा?
- समान संपत्ति अधिकार : बेटे और बेटी दोनों को पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा.
- मौत के बाद संपत्ति: अगर किसी व्यक्ति की आकस्मिक मौत जाती है, तो UCC के तहत संपत्ति को पति/पत्नी और बच्चों में समान रूप से वितरण का अधिकार देता है. इसके अलावा मृतक के माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा. इससे पहले यह अधिकार केवल मृतक की मां को मिलता था.
- समान कारण पर ही तलाक: पति-पत्नी के बीच तलाक के मामले में आधार और कारण एक जैसे होंगे, तभी तलाक मंजूर होगा. केवल एक पक्ष की ओर से तलाक नहीं दिया जा सकेगा.
- लिव इन के लिए रजिट्रेशन: राज्य में कपल अगर लिव इन में रहना चाहते हैं, तो इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा. हालांकि यह सेल्फ डिक्लेशन की तरह ही होगा.
- संतान की जिम्मेदारी : लिव इन रिलेशनशिप से कोई बच्चा पैदा होता है, तो बच्चे की जिम्मेदारी लिव इन में रहने वाले कपल की होगी. इससे राज्य में हर बच्चे को पहचान मिलना सुनिश्चित होगा.
यह भी पढ़ें: घाटी में दौड़ी वंदे भारत, दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज से धड़धड़ाती हुई गुजरी ट्रेन, जानें खूबियां
Follow Us On: Facebook | X | LinkedIn | YouTube | Instagram