Home Top News संभल में खुल रहे कई राज! मंदिर के बाद अब मिली बावड़ी, जानें क्या है 150 साल पुराना इतिहास

संभल में खुल रहे कई राज! मंदिर के बाद अब मिली बावड़ी, जानें क्या है 150 साल पुराना इतिहास

by Divyansh Sharma
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Sambhal Update: पहले खग्गू सराय इलाके इलाके में 43 साल से बंद भस्म शंकर मंदिर मिला. वहीं, अब चंदौसी में एक शनिवार की शाम को प्राचीन बावड़ी मिली है.

Sambhal Update: उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर को सैकड़ों साल पुरानी शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद देखने को मिला था. इसके बाद से संभल चर्चाओं का केंद्र बन गया है. पहले खग्गू सराय इलाके इलाके में 43 साल से बंद भस्म शंकर मंदिर मिला.

वहीं, अब चंदौसी में शनिवार की शाम को एक प्राचीन बावड़ी मिली है. यह बावड़ी काफी बड़ी है. मामूली खुदाई करने पर तीन मंजिला बावड़ी और चार कमरे मिले हैं. इसे बिलारी की रानी की बावड़ी बताया जा रहा है, जो करीब 125 से 150 साल पुराना हो सकता है.

43 साल से बंद मंदिर मिलने के बाद लोगों ने की मांग

जानकारी के मुताबिक चंदौसी के लक्ष्मण गंज में कथित अतिक्रमण हटाने के लिए राजस्व विभाग की टीम पहुंची. इसी दौरान जब खुदाई की गई तो प्रशासन को बिलारी की रानी की बावड़ी मिली. दरअसल, खग्गू सराय इलाके में 43 साल से बंद भस्म शंकर मंदिर मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन को पत्र के माध्यम से बताया कि चंदौसी का लक्ष्मण गंज साल 1857 से हिंदू बाहुल्य क्षेत्र था और सैनी समाज के लोगों की सबसे ज्यादा थी.

बाद में यह इलाका मुस्लिम बाहुल्य हो गया है. लोगों ने DM को लिखे शिकायती पत्र में दावा किया कि लक्ष्मण गंज में पहले बिलारी की रानी सुरेन्द्र बाला की ओर से बनवाई गई बावड़ी थी, जिस पर अवैध कब्जा किया गया है. शिकायत पर संज्ञान लेते हुए DM राजेंद्र पैंसिया ने स्थानीय अधिकारियों को जांच के आदेश दिए. इसके बाद राजस्व विभाग से नायब तहसीलदार नक्शा लिए पुलिस बल के साथ शनिवार को इलाके में पहुंचे.

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जामा मस्जिद से 27 किमी दूर स्थित है बावड़ी

बावड़ी बस्ती के बीच में खुदाई करते ही विशाल तीन मंजिला बावड़ी और चार कमरे मिले. इसमें एक कूप और एक सुरंग भी मिली है. बता दें कि लक्ष्मण गंज में ही 17 दिसंबर को बांके बिहारी का मंदिर खंडहर भी मिला था. मौके पर खुदाई चल रही है. अब 10 से ज्यादा मजदूर और 2 JCB बावड़ी की खुदाई जारी है. बता दें कि यह संभल की शाही जामा मस्जिद से सिर्फ 27 किलोमीटर दूर स्थित है.

स्थानीय निवासी कौशल किशोर ने बताया कि मैं जब बहुत छोटा था, तब यहां आया था. यहां दो से तीन मंजिला इमारत थी. इसके बीच में एक कुआं था. बाद में हमने प्रशासन से प्राचीन संरचना की खोज के लिए आग्रह किया. यह बहुत पुरानी संरचना है और लोग कुएं से पानी लेकर अपनी खेती में इस्तेमाल करते थे. स्थानीय लोगों का दावा है कि जल्द ही और भी ज्यादा जानकारी सामने आ जाएगी.

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