Sambhal Temple: हिंसा वाले इलाके में बिजली चेकिंग और अवैध अतिक्रमण अभियान प्रशासन को एक 46 सालों से बंद एक हजार साल पुराना एक मंदिर मिला है.
Sambhal Temple: उत्तर प्रदेश के संभल से एक और चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा वाले इलाके में बिजली चेकिंग और अवैध अतिक्रमण अभियान के दौरान प्रशासन को एक 46 सालों से बंद मंदिर मिला है. दावा किया जा रहा है कि यह मंदिर करीब मंदिर एक हजार साल पुराना हो सकता है.
संभल में साल 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगे
दरअसल, उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा देखने को मिली थी. इसके बाद प्रशासन हिंसा वाले इलाके में शनिवार को बिजली चेकिंग और अवैध अतिक्रमण अभियान चलाया. इसी अभियान के दौरान करीब एक हजार साल मंदिर सामने आया. स्थानीय लोगों की ओर से दावा किया जा रहा है कि साल 1978 में सांप्रदायिक दंगों हुए थे. इसके बाद कुछ हिंदू समुदाय के लोगों ने वहां से पलायन कर दिया था और तभी से यह मंदिर भी बंद है.
ये कोई औरंगजेब ने नही करवाया, 1978 में संभल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ गयी और हिंदुओं का एक और मन्दिर बंद हो गया। जो आज बिजली विभाग के चोरों की तलाश के दौरान मिला। पता नही इन्हें अपने कृत्यों पर शर्म आयेगी या नहीं!! किस मुँह से भाईचारा शब्द ये बोलते हैं? #Sambhal @Uppolice pic.twitter.com/4efpbLWhA6
— Naval Kant Sinha | नवल कान्त सिन्हा (@navalkant) December 14, 2024
इस मंदिर का नाम भस्म शंकर मंदिर बताया जा रहा है, जो नखासा पुलिस थाने क्षेत्र के खग्गू सराय इलाके में स्थित है. इसमें भगवान हनुमान की मूर्ति और एक शिवलिंग स्थापित है. मंदिर के पास एक कुआं मिला है, जिसे अधिकारी पुनः खोलने की योजना बना रहे हैं. बिजली चोरी के खिलाफ अभियान का नेतृत्व कर रही SDM वंदना मिश्रा ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि निरीक्षण के दौरान हमारी नजर इस मंदिर पर पड़ी. इसे देखते ही जिले के आला अधिकारियों को सूचित किया गया.
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अधिकारियों के आने पर खुला ताला
SDM ने कहा कि अधिकारियों के आने के बाद मंदिर को फिर से खोलने का निर्णय लिया गया. इस दौरान भारी सुरक्षाबलों के जवानों की तैनाती की गई थी. स्थानीय निवासियों ने SDM से कहा कि यह मंदिर साल 1978 से बंद था. नगर हिंदू महासभा के संरक्षक विष्णु शंकर रस्तोगी ने बताया कि मैं जन्म से ही खग्गू सराय में रहता हूं, लेकिन साल 1978 के दंगों के बाद हमें पलायन करना पड़ा. हमारे कुलगुरु को समर्पित यह मंदिर उस समय से ही बंद है.
ये प्राचीन मंदिर था,आक्रांताओं के वंशजों ने क़ब्ज़ा कर इसे बंद कर दिया,मोदीजी योगी जी के राज में दशकों बाद आज इस मंदिर की घंटियाँ बजीं,देवी देवताओं की मूर्ति से धूल छटीं,ये बांग्लादेश नहीं उत्तर प्रदेश का सँभल था जहां ये पाप हुआ
— Dr. Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) December 14, 2024
सपा कांग्रेस राज में UP पूरी तरह बांग्लादेश हो गया… pic.twitter.com/wqGGg1eCyc
बता दें कि यह मंदिर कोट गर्वी इलाके से सिर्फ एक किलोमीटर दूर पर स्थित है, जहां पर 24 नवंबर को मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर हिंसा हुई थी. इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए थे. इसे लेकर सियासी हलचल अभी भी तेज है. वहीं, इससे पहले संभल की एक अन्य मस्जिद के इमाम पर शुक्रवार को कथित तौर पर तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाने के लिए दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.
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