Sambhal Riots: BJP के MLC श्रीशचंद्र शर्मा ने 17 दिसंबर को उत्तर प्रदेश विधान परिषद में संभल में हुए दंगे का मामला उठाया था. इसी मामले में शासन से सूचना मांगी गई थी.
Sambhal Riots: संभल को लेकर एक बार फिर बड़ी जानकारी सामने आ रही है. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने साल 1978 में हुए दंगों की जांच की रिपोर्ट तलब की है. इसे लेकर कई तरह की अफवाह भी सामने आ रही है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दावा किया जा रहा है कि दंगों की कोई नई सिरे से जांच की जाएगी. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इन अफवाहों में कितनी सच्चाई है और साल 1978 में संभल में आखिर क्या हुआ था.
सिर्फ 5 पॉइंट पर मांगी गई दंगों की सूचना
दरअसल, संभल के DM यानी जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने जानकारी देते हुए बताया कि BJP यानी भारतीय जनता पार्टी के MLC श्रीशचंद्र शर्मा ने 17 दिसंबर को उत्तर प्रदेश विधान परिषद में संभल में हुए दंगे का मामला उठाया था. इसी मामले में शासन से सूचना मांगी गई थी. उन्होंने कहा कि संभल से दंगे से जुड़ी जानकारी शासन को दी जाएगी. संभल के SP कृष्णा कुमार बिश्नोई ने कहा कि साल 1978 में हुए दंगे को लेकर दोबारा की जांच को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है कि इस मामले में फिर से मुकदमा दर्ज होगा. यह दावा पूरी तरह से भ्रामक है.
बता दें कि शासन की ओर से सिर्फ 5 पॉइंट पर साल 1978 में हुए दंगों की सूचना मांगी है. इसमें दंगा कब हुआ, दंगे का कारण क्या था, दंगे में कितने लोग मारे गए डिटेल समेत, दंगे में दर्ज FIR और कोर्ट में पेशी समेत चालान की रिपोर्ट और इस मामले में अदालत ने क्या फैसला सुनाया था? SP कृष्णा कुमार बिश्नोई ने बताया कि आख्या के लिए अधिकारियों को लगाया गया है. वह पूरी तरह से डाटा तैयार कर रहे हैं.
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SLM प्रेमचंद ने अपनी किताब में किया था जिक्र
दरअसल, संभल को लेकर SLM प्रेमचंद ने साल 1979 में एक किताब लिखी थी. इस किताब का नाम है ‘मॉब वायलेंस इन इंडिया’. इस किताब में संभल में हुए दंगों का जिक्र किया गया है. किताब के मुताबिक संभल में कई बार दंगे भड़के. सबसे पहले संभल में साल 1976 में जामा मस्जिद के मौलाना मुहम्मद हुसैन की हत्या के कारण संभल में बड़े दंगे हुए. इस हिंसा में कई लोग मारे गए थे. वहीं, इसके बाद 29 मार्च 1978 को संभल एक बार फिर दंगों की आग में झुलस गया.
इस बार ट्रक यूनियन और डिग्री कॉलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रम में नाम के मुद्दे को लेकर विवाद शुरू हुआ था. बाद में यह दंगे का रूप ले लिया. इस दंगों के कारण खग्गूसराय, कोट बाजार, सर्राफा बाजार और गंज में इसका सबसे घातक असर देखने को मिला. इस मामले में हिंदू महासभा के संरक्षक विष्णु शंकर रस्तोगी ने कहा कि वह पहले खग्गूसराय इलाके में रहते थे, लेकिन 1978 के दंगों के कारण हिंदुओं का पलायन होने पर मजबूर होना पड़ा था.
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