अगर आम आदमी अस्पताल में भर्ती होता है तो उसे मेडिकल इंश्योरेंश क्लेम मंजूर करवाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं. अस्पताल मरीज की छुट्टी तब तक नहीं करते, जब तक सारा पैसा क्लीयर नहीं हो जाता या फिर मरीज जब तक पूरा पैसा खुद ही जमा नहीं कर देता.
MUMBAI: अगर आम आदमी अस्पताल में भर्ती होता है तो उसे मेडिकल इंश्योरेंश क्लेम मंजूर करवाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं. अस्पताल मरीज की छुट्टी तब तक नहीं करते, जब तक सारा पैसा क्लीयर नहीं हो जाता या फिर मरीज जब तक पूरा पैसा खुद ही जमा नहीं कर देता.लेकिन सेलिब्रेटी को यह जहमत नहीं उठानी पड़ती.
सोशल मीडिया पर लीक हुई जानकारी के मुताबिक, एक्टर सैफ अली खान ने अपने इलाज के लिए 35,95,700 रुपये का क्लेम किया था जबकि इंश्योरेंस कंपनी ने शुरुआत में कैशलेस इलाज के लिए सिर्फ 25 लाख रुपये मंजूर किए थे. पूछा जा रहा है कि निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस (सैफ के पास इसी कंपनी का हेल्थ इंश्योरेंस है) ने एक सेलिब्रिटी को तरजीह क्यों दी. जबकि सामान्य लोगों के लिए क्लेम हासिल करना मुश्किल क्यों बना दिया गया है ?
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को लेकर लगातार उठ रहे सवाल
बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान के इलाज के लिए मिले हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इस बीच, एसोसिएशन ऑफ़ मेडिकल कंसल्टेंट्स (AMC) ने भारतीय इंश्योरेंस रेगुलेटरी और डेवलमेंट अथॉरटी (IRDAI) को लेटर लिखा है. इस लेटर में सेलिब्रिटीज़ को ‘अतिरिक्त तरजीह’ देने का आरोप लगाया गया है. साथ ही कई तीखे सवाल पूछे गए हैं. सैफ अली का मुंबई के लीलावती अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस बीच मुंबई के ही एक डॉक्टर ने उन्हें मिलने वाली मेडिकल क्लेम की रकम को लेकर इंश्योरेंस कंपनी पर सवाल उठा दिया है.
एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स ने कहा- क्लेम आम लोगों के लिए मुश्किल
उनका कहना है कि जितने रुपये के क्लेम का अप्रूवल एक्टर को दिया गया है, उतना शायद ही किसी आम आदमी को मिले. मुंबई के लीलावती अस्पताल में अभिनेता सैफ अली खान के 25 लाख रुपये के कैशलेस इलाज के क्लेम की झटपट मंजूरी पर सवाल उठ गए हैं । इसे लेकर एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स (AMC) का कहना है कि सैफ अली खान का लाखों का क्लेम कुछ ही घंटों में मंजूर हो गया जो आम लोगों के लिए नामुमकिन है।
AMC ने इस मामले की जांच और पारदर्शी प्रक्रिया की मांग की है. AMC का कहना है कि इससे समान स्वास्थ्य सेवा का सिद्धांत कमजोर होता है. चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि मेडिको लीगल मामलों में आमतौर पर FIR जैसी दस्तावेजों की जरूरत होती है, लेकिन सैफ अली खान के मामले में ऐसा नहीं हुआ. हेल्थ पॉलिसी एक्सपर्ट निखिल झा ने भी AMC की चिंताओं का समर्थन किया है.
तरजीही उपचार सिस्टम में निष्पक्षता पर सवाल
उन्होंने कहा कि अगर यह कोई आम आदमी होता तो कंपनी उचित और प्रथागत शुल्क लागू करती और क्लेम का भुगतान नहीं करती. झा के अनुसार, यह तरजीही उपचार सिस्टम में निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स मुंबई ने IRDAI को पत्र लिखा है। सैफ अली खान को तरजीही उपचार क्यों दिया गया? जाहिर तौर पर बीमा कंपनी ने सैफ अली खान के इलाज के लिए लीलावती अस्पताल को कुछ ही घंटों में 25 लाख रुपये मंजूर कर दिए. सामान्य प्रक्रिया पूछताछ करने की है.
मालूम हो कि कुछ दिन पहले बॉलीवुड के जाने-माने एक्टर सैफ अली खान पर उनके फ्लैट पर घुसे चोर ने चाकू मारकर गंभीर घायल कर दिया था.उनकी पीठ पर चाकू से कई वार हुए थे. सैफ को गर्दन,पीठ और हाथ के अलावा भी शरीर के कई हिस्सों में चोटे आई थीं.जिसके बाद सैफ को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
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