Home RegionalDelhi नजफगढ़ का नाम नाहरगढ़ करने की क्यों उठी मांग? जानें नाहर सिंह से जुड़ी 1857 की क्रांति की कहानी

नजफगढ़ का नाम नाहरगढ़ करने की क्यों उठी मांग? जानें नाहर सिंह से जुड़ी 1857 की क्रांति की कहानी

by Divyansh Sharma
0 comment
Najafgarh, Nahargarh, Neelam Pahalwan, Raja Nahar Singh, 1857 revolution, Delhi assembly session,

Najafgarh Name Change To Nahargarh: विधानसभा सत्र के दौरान BJP विधायक नीलम पहलवान ने नजफगढ़ का नाम बदलकर ‘नाहरगढ़’ करने की मांग रखी है.

Najafgarh Name Change To Nahargarh: दिल्ली में विधानसभा का सत्र चल रहा है. इस बीच BJP यानि भारतीय जनता पार्टी की विधायक ने बड़ी मांग कर दी है. BJP विधायक नीलम पहलवान ने विधानसभा में गुरुवार को कहा कि सन् 1857 के विद्रोह में राजा नाहर सिंह ने लड़ाई लड़ी थी और नजफगढ़ क्षेत्र को दिल्ली के क्षेत्र में शामिल किया था. हमने नजफगढ़ का नाम बदलकर ‘नाहरगढ़’ करने की बहुत कोशिश की थी. इसके बाद उन्होंने नजफगढ़ का नाम बदल कर नाहरगढ़ किए जाने की मांग रखी है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि क्या है राजा नाहर सिंह की कहानी.

सन् 1857 की क्रांति में निभाई अहम भूमिका

विधानसभा सत्र के दौरान पहली बार विधायक बनी नीलम पहलवान ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली देहात में मेरा विधानसभा क्षेत्र पड़ता है. तीन ओर से नजफगढ़ की सीमाएं हरियाणा से लगती है. उन्होंने आगे कहा कि जब मुगल शासक बादशाह आलम द्वितीय ने नजफगढ़ पर राज किया, तो हमारे इलाके में बहुत अत्याचार हुआ था. सन् 1857 की क्रांति में राजा नाहर सिंह ने लड़ाई लड़कर नजफगढ़ क्षेत्र को दिल्ली प्रांत में शामिल कराया था, लेकिन कई बार कागज कार्रवाई होने के बाद भी आज तक नजफगढ़ का नाम नहीं बदला गया.

उन्होंने आगे कहा कि हमने कई बार अपील भी की. जब हमारे सांसद प्रवेश वर्मा थे, उनके माध्यम से भी बहुत कोशिश की गई थी कि हमारे नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ कर दिया जाए. नीलम पहलवान के इस प्रस्ताव पर BJP विधायकों ने मेज थपथपा कर अपना समर्थन जाहिर किया. बता दें कि अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजाद कराने के लिए पहली क्रांति सन् 1857 में की गई थी. इसमें राजा नाहर सिंह ने भी लड़ाई लड़ी थी.

यह भी पढ़ें: समुद्र में भारतीय नौसेना की बढ़ी ताकत, DRDO ने NASM-SR Missile का किया सफल परीक्षण

तीनों सेनापतियों को भी दी गई थी फांसी

इस क्रांति में बल्लभगढ़ रियासत के राजा नाहर सिंह और उनके सेनापति गुलाब सिंह, भूरा सिंह की भूमिका भी अहम मानी जाती है. राजा नाहर सिंह ने लड़ाई लड़कर नजफगढ़ को उस समय के दिल्ली प्रांत में शामिल कराया था. इतिहासकारों के मुताबिक प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने से गुस्साए अंग्रेजों ने मुगल बादशाह जफर से संधि करने के बहाने से धोखे से राजा नाहर सिंह को अपने पास बुलाया.

इस धोखे की आड़ में अंग्रेजों ने राजा नाहर सिंह और तीनों सेनापतियों गुलाब सिंह, भूरा सिंह और खुशयाल सिंह को बंदी बना लिया. 9 जनवरी 1858 को सभी को फांसी पर लटका दिया था. उन्हें फांसी की सजा दिल्ली के चांदनी चौक में दी गई थी. बता दें कि राजा नाहर सिंह बल्लभगढ़ रियासत के अंतिम राजा थे. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मदद की थी. इससे अंग्रेज शासन काफी ज्यादा नाराज था. गिरफ्तार करने के बाद अंग्रेजों ने उन पर लूट का मुकदमा भी चलाया था. जब नाहर सिंह को फांसी दी गई, तब उनकी उम्र महज 36 वर्ष थी.

यह भी पढ़ें: महाशिवरात्रि पर कैसे भड़क उठा झारखंड? जानें हजारीबाग में दो समुदायों के झड़प की वजह

Follow Us On: Facebook | X | LinkedIn | YouTube Instagram

You may also like

Leave a Comment

Feature Posts

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!

@2025 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00