Murshidabad Violence : वक्फ (संशोधन) अधिनियम का विरोध के चलते पश्चिम बंगाल में भारी हिंसा देखी जा रही है. इसी बीच कलकत्ता हाई कोर्ट ने सख्त नजरिया दिखाते हुए राज्य सरकार को CRPF के जवान तैनात करने के निर्देश दिए हैं.
Murshidabad Violence : पश्चिम बंगाल के कई स्थानों और खासकर मुर्शिदाबाद में भारी हिंसा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने हालात को गंभीर और अस्थिर बताते हुए राज्य की ममता सरकार को जल्द से जल्द केंद्रीय बलों को तैनात करने के लिए निर्देश दिए हैं. अभी तक इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. मुर्शिदाबाद जिला कथित तौर पर वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों से प्रभावित चल रहे हैं. न्यायालय ने कहा कि यह निर्देश केवल मुर्शिदाबाद तक सीमित नहीं रहेगा और जरूरत पड़ी तो अन्य जिलों तक भी सिक्युरिटी बढ़ाई ज सकती है.
भारी हिंसा के बीच 138 लोगों पर केस दर्ज
कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय बलों की तैनाती सिर्फ मुर्शिदाबाद जिले तक सीमित नहीं रहेगी. अगर यह हिंसा अन्य जिलों में फैलने की आशंका जताई जाती है तो इसका विस्तार किया जाएगा. न्यायमूर्ति सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि हम विभिन्न रिपोर्टों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं जो दृष्टि से पश्चिम बंगाल कई जिलों में हिंसा का बर्बरता दिखाती है. कोर्ट ने आगे कहा कि मुर्शिदाबाद के अलावा दक्षिण 24 परगना जिले अमतला, उत्तर 24 परगना जिले और हुगली के चंपदानी में भी हिंसक घटनाओं को देखा गया है. वहीं, हिंसा का सबसे ज्यादा उग्र मुर्शिदाबाद जिले में देखा गया है जहां पर तीन लोगों की मौत हो गई है और इस मामले में लोकल पुलिस ने 138 लोगों पर मामला दर्ज कर लिया है.
हिंसा को कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
वहीं, कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थिति जैसे नियंत्रित में होती चली जाएगी उसी तरह से केंद्रीय बलों को धीरे-धीरे पीछे हटा लिया जाएगा. कोर्ट ने माना कि समय रहते हुए राज्य सरकार की तरफ से जरूरी कदम नहीं उठाए गए और अगर ऐसा होता तो ऐसी हिंसा देखने को मिलती. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि निर्दोष नागरिकों पर किए गए अत्याचारों को रोकने के लिए युद्ध स्तर पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. न्यायालय का कर्तव्य है कि नागरिकों की रक्षा करना है और इस पर जोर देते हुए पीठ ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन का अधिकार है और यह सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है कि वह हर एक व्यक्ति की संपत्तियों की रक्षा करे.
वहीं, पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता है कि पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में भारी हिंसा देखी गई है और इन घटनाओं को किसी भी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. बता दें कि कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसे पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी ने दायर किया था और उन्होंने इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की निवेदन किया था.
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