Mauni Amavasya Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या के दिन लगभग 10 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगाने पहुंच सकते हैं. ऐसे में जानते हैं मौनी अमावस्या के दिन दूसरे अमृत स्नान का महत्व.
Mauni Amavasya Mahakumbh 2025: तीर्थनगरी प्रयागराज में महाकुंभ में देशभर की सांस्कृतिक विविधता का संगम देखने को मिल रहा है. माघ मास की मौनी अमावस्या के दिन यानि 29 जनवरी को महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होगा. मौनी अमावस्या का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में प्रशासन ने उम्मीद जताई है कि दूसरे अमृत स्नान के दिन 8 से 10 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में डुबकी लगाने पहुंच सकते हैं. ऐसे में जानते हैं मौनी अमावस्या के दिन दूसरे अमृत स्नान का महत्व.
स्नान से आत्मा को मिलती है मुक्ति
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक महाकुंभ में पवित्र स्नान करने वालों का आंकड़ा 13 करोड़ को पार कर गया है. पिछले 16 दिनों में ही यह आंकड़ा 13 करोड़ से ज्यादा का हो गया है. मकर संक्रांति के दिन 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं, पूज्य संतो और कल्पवासियों ने अमृत स्नान किया था. ऐसे में प्रशासन ने उम्मीद जताई है कि मौनी अमावस्या के दिन 8 से 10 करोड़ श्रद्धालु अमृत स्नान करने पहुंच सकते हैं. मौनी अमावस्या के पुण्य अवसर पर श्रद्धालुओं, परिवहन, स्वास्थ्य, स्वच्छता जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है.
बता दें कि मौनी अमावस्या के दिन स्नान को कुंभ में सबसे शुभ स्नान दिवस माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पवित्र नदियों के संगम में डुबकी लगाने वालों को मुक्ति मिलती है. इस दिन संत और भक्त मौन व्रत का पालन करते हैं और गहन ध्यान में लीन हो जाते हैं. माना जाता है कि इसी दिन ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था और इसलिए इस दिन आसपास की ऊर्जाएं सबसे ज्यादा शक्तिशाली मानी जाती हैं. ऐसे में माना जाता है कि मौनी अमावस्या पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम में पवित्र स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और आत्मा को मुक्ति मिलती है.
शुभ मुहूर्त
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 28 जनवरी ( 07:35 शाम)
- अमावस्या तिथि समाप्त – 29 जनवरी (06:05 शाम)
- ब्रह्म मुहूर्त- 29 जनवरी (5:25 बजे से 6:19 सुबह)
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मनु ने किया था मौन व्रत का पालन
मान्यताओं के मुताबिक इस दिन संगम तट पर देवी-देवताओं का वास होता. इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही पीपल के पेड़ की भी पूजा की जाती है. इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इस दिन जरूरतमंदों को दान करना भी शुभ होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मांड का निर्माण के प्रारंभ में मनु ने मौन व्रत का पालन किया था और इसी वजह से इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन पितृ के लिए स्मरण और अनुष्ठान भी किया जाता है.
पितरों के तर्पण और विशेष उपायों से पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और उनकी आत्मा को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सोमवार को प्रयागराज का दौरा किया. साथ ही मौनी अमावस्या की तैयारियों का भी जायजा लिया. वहीं, मौनी अमावस्या पर विशेष इंतजाम किए जाएंगे. संगम नोज पर भीड़ नियंत्रित करने के लिए जिस सेक्टर या जोन से श्रद्धालु आएंगे, उसी सेक्टर या जोन में स्नान के बाद उन्हें वापस भेजने की तैयारी की जाएगी. इसके अलावा इवैक्युएशन गैंग को घाटों पर भीड़ जमा होने से रोकने की जिम्मेदारी दी गई है.
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